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बुधवार, 24 मार्च 2021

सहयोग की शक्ति

 

सहयोग की शक्ति एक बहुत ही प्रभावशाली एवं महान शक्ति है। बचपन में परिवार से लेकर समाज एवं राष्ट्र निर्माण में इसी का योगदान है। शायद आज इसका महत्व थोड़ा नजरअंदाज हो रहा है क्योंकि समाज इस समय थोड़ा सिकुड़ा हुआ और परिवार भी अपने में सिमटे हुए हैं।सहयोग जीवन में जादू की तरह काम करता है।

यह किसी भी रूप में हो सकता है - चाहे वह मित्र का सहयोग हो, परिवार का सहयोग हो, या हमारे आसपास हमारे परिचितों या पड़ोसियों का हो। जीवन का सिद्धांत है जिस और हमारी चेतना और हमारा ध्यान केंद्रित होता है वह हमें मिलता है। तो सहयोग की शक्ति को पहचाने एवं उसे अपने जीवन का अंग बनाएं।


शनिवार, 21 नवंबर 2020

समाधान

आज हर किसी के पास समस्याओं का भंडार है। ऐसा नहीं है कि पुराने समय में मानव सभ्यता के सामने समस्याएं नहीं होती थी किंतु आज समस्या के प्रति मानव का जो दृष्टिकोण है वह पहले नहीं होता था। अपनी आत्मिक शक्ति के बल पर मनुष्य में अनेकों समस्याओं का सामना किया है यह सच है। वास्तव में समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितना कि हमारा उसके प्रति दृष्टिकोण और उसके प्रति प्रतिक्रिया।

व्यक्तिगत स्तर पर बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं इसीलिए होती है क्योंकि किसी विशेष क्षण में मनुष्य समस्या से इतना व्याकुल हो जाता है कि वह उसपर ठंडे दिमाग से विचार कर उसके समाधान के प्रति सोच ही नहीं पाता। अधिकांश समस्याएं तभी हल हो सकती हैं जब हम उनके प्रति अपनी प्रतिक्रिया को बदलें। हम समस्या पर विचार करें ना कि उसके प्रति प्रतिक्रिया दें।


 

रविवार, 15 नवंबर 2020

स्व संवाद

अधिकांश मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ हमारे मन के अंदर होती है। जब भी किसी मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति को देखते हैं तो यहां यह पाते हैं कि उसकी समस्याओं की जड़ तो उसके अंदर ही है। आज का युग मानसिक समस्याओं का युग है और आज के युग की सबसे बड़ी बीमारी है अवसाद, तनाव क्योंकि आज इंसान अकेला है एवं साधन संपन्न होते हुए भी अपने अहम के कारण एक घर में रहते हुए भी अपनों से कटा हुआ है।

 समस्याओं का प्रकार इस बात पर भी निर्भर करता है कि हमारा स्वयं से संवाद कैसा है। आज अगर कुछ बिगड़ा हुआ है तो वह हमारा स्वयं से संवाद ही है। हम स्वयं से किस भाषा में बात करते हैं उससे हमारेे पूरेे व्यक्तित्व का निर्माण होता है और उसी से हमारे रिश्तो का भी बनना बिगड़ना होता है। अगर एक सकारात्मक पहल करनी है तो सबसे पहले रोज स्वयं से सकारात्मक संवाद करने की आदत डालनी होगी।


शनिवार, 7 नवंबर 2020

भाग्य निर्माण

शब्दों की शक्ति अपार है | विचारों से शब्दों का निर्माण होता है एवं हमारे शब्द ही हमारे कर्मों में उतरकर हमारा भाग्य बनाते हैं। किसी से बात करते समय कैसे शब्द चुनना है यह बहुत समझदारी का विषय है। कई बार केवल शब्दों के प्रयोग से बनती हुई बात बिगड़ जाती है या बिगड़ी हुई बात बन जाती है। साथ ही साथ शब्दों की भी अपनी शक्ति होती है, अपनी तरंगे होती हैं।

शब्दों के प्रयोग के समय केवल वाणी का ही उपयोग नहीं कर रहा होता है किंतु भावों का भी समावेश करना होता है। कई बार वह भाव बिना कहे ही गजब का प्रभाव छोडते हैं। कहते भी हैं दिल से कही गई बात सदैव सफल होती है इसलिए शब्दों का चुनाव सोचकर करें।


 

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

चरित्र निर्माण

 बड़ी विचित्र बात है क्या आपने कभी यह सोचा है कि जब आप किसी से मिल रहे होते हैं तो इससे आपका चरित्र भी प्रगट होता है। वास्तव में हमारे तौर तरीके, हमारा व्यवहार और दूसरों से हमारा मिलने का तरीका हमारे चारित्रिक गुणों और आदतों को ही प्रकट करता है। कितनी गहरी बात है यह किंतु बहुत कम लोग से समझते हैं।

एक पारखी पहली बार में ही व्यक्ति के मिलने के तरीके से उसके चरित्र का बहुत कुछ अनुमान लगा लेता है। चाहे आप कितना ही क्यों ना छुपाए आपका मूल चरित्र आपके व्यवहार से परिलक्षित हो ही जाता है। तो आगे से जब आप किसी से मिले तो ना केवल उसे पारखी नजरों से देखें बल्कि गहराई से अपने व्यवहार पर भी नजर डालें कि वह आप के किन गुणों को प्रकट कर रहा है। 


 

रविवार, 25 अक्तूबर 2020

सुनने की कला

जैसे बोलने की कला अपने आप में एक महत्वपूर्ण कला है वैसे ही एक अच्छा श्रोता बनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अधिकतर लोग इससे अनभिज्ञ रहते हैं कि अच्छे रिश्ते की नींव एक अच्छा श्रोता बनना होता है। जितना अधिक हम दूसरों को ध्यान से और गहराई पूर्वक सुनते हैं उतना ही हमारा रिश्तो में अनुभव बढ़ता जाता है एवं हम लोगों को समझ पाते हैं। इससे हमारी परखने की शक्ति भी मजबूत होती है जिससे भविष्य में भी हम अपने रिश्तो की नींव को कमजोर नहीं होने देते। 
अधिकतर लोग इसको ना समझते हुए केवल इसलिए सुनते हैं कि उन्हें सुनी हुई बात का जवाब देना है। वास्तव में हर मनुष्य में इस बात की भूख है कि कोई उसे सुनी एवं समझे। यदि हम लोगों को सुनना सीख गए तो रिश्तो की उलझन में हम आधा तो जीत ही जाते हैं।

 

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

व्यवहार कुशलता


 अक्सर संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है एक दूसरे को गहराई से समझना एवं भावनात्मक संबल देना। सबसे शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति भी भावनात्मक स्तर पर यदि अपने आप को भरा पूरा महसूस नहीं करता है तो यह आंतरिक खालीपन उसको आत्मिक रूप से शक्तिशाली नहीं बनने देता। वास्तव में हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि भले वह प्रगट ना करें किंतु कोई उसे अंदर से समझे एवं उसकी भावनाओं को पोषित करें।

लोगों को पढ़ना भी एक कला है किंतु इस कला का उपयोग केवल किसी निष्कर्ष निकालने के लिए नहीं बल्कि उन्हें अंदर से शक्ति एवं साहस देने के लिए होना चाहिए। आत्मबल को बढ़ाने वाला तो इस युग में सबसे बड़ा मित्र है। लोगों को पढ़ना अगर एक कला है तो यह कला लंबे काल के अभ्यास के बाद विकसित होती है। इस ज्ञान के आगे बड़ी-बड़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों का ज्ञान भी छोटा पड़ जाता है।

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...