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बुधवार, 21 अप्रैल 2021

वाणी का प्रभाव

बहुत से लोग बहुत अधिक बोलने के आदी होते हैं। परिणाम यह होता है कि लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते और ना ही उन्हें सुनना पसंद करते हैं। साथ ही साथ शब्दों की शक्ति और मानसिक शक्ति का जो व्यय होता है वह अलग।

अतः अपने व्यक्तित्व को प्रभावी बनाना हो तो सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपकी बात का वजन हो । बात को प्रभावी बनाने के लिए यह जरूरी है कि आपकी बात की गहराई ज्यादा हो ना लंबाई। अक्सर लंबी बातें अपने उद्देश्य से भटक जाती हैं और अपना महत्व खो देती हैं अतः कम बोले, सार्थक बोले।


 

शनिवार, 7 नवंबर 2020

संवाद का जादू

संवाद जीवन में जादू करने वाला एक सशक्त शब्द है। हर व्यक्ति जानता है कि जीवन में इसका क्या महत्व है। नौकरी में सफलता से लेकर सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन में हर जगह इसका बहुत ऊंचा स्थान है किंतु हर कोई इस कला को नहीं जानता। बात चाहे सामाजिक संबंधों की हो, अपने अधीनस्थों से संबंध की हो या फिर अपने प्रियजनों से संबंधों की हो, हर जगह एक मजबूत संवाद मजबूत डोर का कार्य करता है जो आपस में व्यक्तियों को बांधे रखता है।

संवाद ऐसा हो जिसमें सार तो समाया हुआ ही हो किंतु मधुरता के साथ-साथ स्पष्टता भी हो। यदि स्पष्ट एवं सुंदर संवाद की कला आ गई तो जीवन स्वर्ग सम हो जाता है । हर रिश्ते की पहली नीव है आत्मिक संवाद मतलब दिल से निकले वह सच्चे शब्द जो ना केवल आप को स्पर्श करें किंतु कम शब्दों में सीख भी दे जाएं।


 

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

आचरण का महत्व

अनेकों व्यक्तियों का स्वभाव बड़ा ही व्यंग्यात्मक होता है। वह किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करते और सदा ही तंज कसते कसते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के साथ कोई भी अच्छा और आरामदायक महसूस नहीं करता। वास्तव में जो व्यक्ति व्यंग करते रहते हैं उनमें आत्म बल की कमी होती है। वह स्वयं तो कुछ कर नहीं पाते अतः अपनी इस कमी को वह व्यंग करके पूरा करते हैं।

यह उनकी चारित्रिक कमजोरी को भी प्रकट करता है। वास्तव में जो आत्मबल से संपन्न एवं मानसिक रूप से शक्तिशाली है उन्हें कभी भी व्यर्थ बोलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। उनकी संकल्प शक्ति से ही सारे कार्य संपन्न हो जाते हैं।


 

सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

शब्द शक्ति

क्या आपको स्मरण है की शब्द भी एक शक्ति है और उसकी ऊर्जा को बचाना भी उतना ही जरूरी है। अक्सर यह देखा गया है कि अधिक एवं व्यर्थ बोलने वालों को कोई भी सुनना पसंद नहीं करता एवं बातचीत में उनकी वक्तव्य की गरिमा भी कोई नहीं रखता। उनकी वाणी का वास्तव में कोई मोल नहीं होता। दूसरी ओर जो व्यक्ति कम किंतु सधे हुए शब्दों में अपनी बात को रखता है उसकी बात का ना केवल मूल्य होता है बल्कि सभी उसका समुचित सम्मान भी करते हैं।

 कहने का तात्पर्य यह है कि अधिक बोलने या ऊंचा बोलने से आपकी बात की गरिमा एवं गहराई कम ही होती है ना की बढ़ती है अतः कम से कम शब्दों में किंतु तार्किक रूप से जब हम अपनी बात को प्रस्तुत करते हैं तो उसका वजन बढ़ जाता है। तो आगे से हमें अपनी बात को सधे हुए शब्दों में रखने के लिए सबसे पहले अपनी शब्दावली को सुधारना होगा।


 

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

मीठे बोलो का महत्व

मीठे बोल का महत्व कौन नहीं जानता ? बिगड़ते हुए कार्य प्रेम मिश्रित बोलो से बन जाते हैं, परिवार में पड़ी दरारें भावना के साथ बोले गए मीठे वचनों से पट जाती है। जो इनके महत्व को नहीं जानते वह शायद इन्हें बड़ा छोटा समझते हैं। जिन्हें प्रेम की बोली बोलना नहीं आता एवं सदा अधिकारपूर्वक हठ से कार्य कराना जानते हैं वह यही सोचते हैं कि इन मीठे बोलो का आखिर क्या महत्व ? किंतु अधिकार से व्यक्ति अपनों को खोता है एवं प्रेम से जीतता है।

अतः लंबे समय में जब प्रेम के बोल का प्रभाव देखने में आता है तो यही महसूस होता है कि इनका दायरा वास्तव में बहुत बड़ा है और इनकी गूंज अत्यधिक प्रभावी|  तो यदि अपनी जीवन और अपने आसपास के वातावरण में कोई स्थाई परिवर्तन देखना हो तो मीठी वाणी के चमत्कारों को खुद आजमा कर देखें।


 

रविवार, 20 सितंबर 2020

वाणी की शक्ति

हमारी जीभ को ईश्वर से एक अद्भुत वरदान मिला है- वाणी का। वाणी की शक्ति अपने आप में ऐसी अनुपम शक्ति है जिसकी ऊर्जा से समय-समय पर पूरा संसार आंदोलित हुआ है। कभी यह वाणी सिद्ध पुरुषों की थी तो कभी यह कालजयी रचनाकारों की,कभी कवियों की, तो कभी विश्व प्रसिद्ध नायकों की जिन्होंने अपनी सफल नेतृत्व से एक राष्ट्र का भाग्य बदल दिया। अब तो वाणी की शक्ति का परिचय आपको हो ही गया होगा। पर वास्तव में हममें से अधिकांश लोग इसी शक्ति का बिना जो सोचे समझे सबसे अधिक दुरुपयोग करते हैं। 
मुंह से निकले हुए शब्द किसी के भाग्य का निर्माण भी कर सकते हैं तो किसी के भाग्य के सितारे को सदा के लिए अस्त भी कर सकते हैं। इनमें निहित ऊर्जा को बहुत सोच समझकर उपयोग करना चाहिए। व्यर्थ बोलने से ना केवल शारीरिक शक्ति खर्च होती है किंतु मानसिक शक्तियों का भंडार भी  खाली होता है। तो जब भी बोले - समय देखकर,सोच समझ कर बोलें।


 

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...