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मंगलवार, 6 जुलाई 2021

आंतरिक संवाद

हमारे जीवन का अधिकतर समय दूसरों के साथ संपर्क साधने में एवं उनसे लोक व्यवहार करने में जाता है। दिनभर की गतिविधियों में भी हम अधिक से अधिक समय दूसरों के साथ बिताते हैं एवं वह कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता। बहुत कम ही लोग होते हैं जो यह महसूस करते हैं कि कुछ समय उन्हें स्वयं के साथ भी बिताना चाहिए और उसके लिए व्यवस्थित रूप से थोड़ा समय नियम से निकालना चाहिए।
 दुनिया की इस भाग दौड़ में अपने लिए समय निकालना बहुत जरूरी है, यह हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए आवश्यक है। जैसे खुद से संवाद स्वयं को आईना दिखाता है वैसे ही खुद के साथ बिताया हुआ समय जैसे हम हमें नई ऊर्जा का संचार करता है और नई रचनात्मकता को जन्म देता है। तो आज से ही हमें नियमित तौर पर अपने लिए थोड़ा सा समय निकालना होगा।

 

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

विचारों की संजीदगी

जब किसी नदी या सागर की गहराई में जाते हैं तब प्रवाह धीरे-धीरे शांत हो जाता है ,ऊपर की हलचल समाप्त हो जाती है। अचानक ही ऊपर के सारे तनाव, सारी हलचल ,शांति और गंभीरता में परिवर्तित हो जाती है। बिल्कुल वैसे ही हमारे विचारों की गंभीरता अंतर्मन की गहराई में और भी अधिक गहरी हो जाती है और उन में स्थायित्व आ जाता है। अतः कभी-कभी मौन और ध्यान के माध्यम से उन विचारों को टटोलना और गहराई में उतरना भी अति आवश्यक है। अगर सतह की लहरों में ही उलझे रहेंगे तो जीवन का उद्देश्य कभी नहीं मिल पाएगा।
आज ज्यादा से ज्यादा लोग ऊपरी दिखावे और आडंबर में उलझे हुए हैं। कोई भी आत्म निरीक्षण करके अंदर गहराई में उतरने को तैयार नहीं है ,खुद से यह प्रश्न पूछने के लिए तैयार नहीं है कि उसका वास्तविक जीवन उद्देश्य क्या है। यह निश्चित रूप से सत्य है कि अपने जीवन की सच्चाई और उसका उद्देश्य केवल अंतर्मन से संवाद करके ही मिलता है।



 

रविवार, 15 नवंबर 2020

स्व संवाद

अधिकांश मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ हमारे मन के अंदर होती है। जब भी किसी मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति को देखते हैं तो यहां यह पाते हैं कि उसकी समस्याओं की जड़ तो उसके अंदर ही है। आज का युग मानसिक समस्याओं का युग है और आज के युग की सबसे बड़ी बीमारी है अवसाद, तनाव क्योंकि आज इंसान अकेला है एवं साधन संपन्न होते हुए भी अपने अहम के कारण एक घर में रहते हुए भी अपनों से कटा हुआ है।

 समस्याओं का प्रकार इस बात पर भी निर्भर करता है कि हमारा स्वयं से संवाद कैसा है। आज अगर कुछ बिगड़ा हुआ है तो वह हमारा स्वयं से संवाद ही है। हम स्वयं से किस भाषा में बात करते हैं उससे हमारेे पूरेे व्यक्तित्व का निर्माण होता है और उसी से हमारे रिश्तो का भी बनना बिगड़ना होता है। अगर एक सकारात्मक पहल करनी है तो सबसे पहले रोज स्वयं से सकारात्मक संवाद करने की आदत डालनी होगी।


ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...