अनेकों व्यक्तियों का स्वभाव बड़ा ही
व्यंग्यात्मक होता है। वह किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करते और सदा ही तंज कसते
कसते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के साथ कोई भी अच्छा और आरामदायक महसूस नहीं करता।
वास्तव में जो व्यक्ति व्यंग करते रहते हैं उनमें आत्म बल की कमी होती है। वह
स्वयं तो कुछ कर नहीं पाते अतः अपनी इस कमी को वह व्यंग करके पूरा करते हैं।
यह उनकी चारित्रिक कमजोरी को भी प्रकट
करता है। वास्तव में जो आत्मबल से संपन्न एवं मानसिक रूप से शक्तिशाली है उन्हें
कभी भी व्यर्थ बोलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। उनकी संकल्प शक्ति से ही सारे
कार्य संपन्न हो जाते हैं।
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