जब किसी नदी या सागर की गहराई में जाते हैं तब प्रवाह धीरे-धीरे शांत हो जाता है ,ऊपर की हलचल समाप्त हो जाती है। अचानक ही ऊपर के सारे तनाव, सारी हलचल ,शांति और गंभीरता में परिवर्तित हो जाती है। बिल्कुल वैसे ही हमारे विचारों की गंभीरता अंतर्मन की गहराई में और भी अधिक गहरी हो जाती है और उन में स्थायित्व आ जाता है। अतः कभी-कभी मौन और ध्यान के माध्यम से उन विचारों को टटोलना और गहराई में उतरना भी अति आवश्यक है। अगर सतह की लहरों में ही उलझे रहेंगे तो जीवन का उद्देश्य कभी नहीं मिल पाएगा।
आज ज्यादा से ज्यादा लोग ऊपरी दिखावे और आडंबर में उलझे हुए हैं। कोई भी आत्म निरीक्षण करके अंदर गहराई में उतरने को तैयार नहीं है ,खुद से यह प्रश्न पूछने के लिए तैयार नहीं है कि उसका वास्तविक जीवन उद्देश्य क्या है। यह निश्चित रूप से सत्य है कि अपने जीवन की सच्चाई और उसका उद्देश्य केवल अंतर्मन से संवाद करके ही मिलता है।
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