आपका आचरण ही आपका जीता जागता प्रतिरूप है| जब जब किसी महान व्यक्ति या महापुरुष की
चर्चा होती है तो सबसे पहले दृष्टि में आता है - उनका आचरण, उनका चरित्र।
यह चरित्र ही वास्तव में हर व्यक्ति की सबसे बड़ी पूंजी है जिसे आज के समय में
दरकिनार कर दिया गया है। यह मान लिया गया है कि यदि धन, पद और
प्रतिष्ठा है तो चरित्र का ज्यादा महत्व नहीं है किंतु वास्तव में अनंत काल के लिए
वही याद किया जाता है जिसने अपनी वाणी से नहीं अपितु अपने कर्मों से उदाहरण पेश
किया।
वाणी का जादू बहुत समय तक अपना काम
नहीं करता क्योंकि उसकी पोल खुल ही जाती है। शीर्ष पर तो आपका कर्तृत्व एवं चरित्र
ही होता है इसलिए अपने आचरण में सदाचार और गुणों की जितनी वृद्धि की जा सके उतना
ही अच्छा है। वास्तव में आपके जाने के बाद भी अगर कुछ याद किया जाता है तो वह है आपके
कर्म और आपका चरित्र।
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