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रविवार, 20 सितंबर 2020

वाणी की शक्ति

हमारी जीभ को ईश्वर से एक अद्भुत वरदान मिला है- वाणी का। वाणी की शक्ति अपने आप में ऐसी अनुपम शक्ति है जिसकी ऊर्जा से समय-समय पर पूरा संसार आंदोलित हुआ है। कभी यह वाणी सिद्ध पुरुषों की थी तो कभी यह कालजयी रचनाकारों की,कभी कवियों की, तो कभी विश्व प्रसिद्ध नायकों की जिन्होंने अपनी सफल नेतृत्व से एक राष्ट्र का भाग्य बदल दिया। अब तो वाणी की शक्ति का परिचय आपको हो ही गया होगा। पर वास्तव में हममें से अधिकांश लोग इसी शक्ति का बिना जो सोचे समझे सबसे अधिक दुरुपयोग करते हैं। 
मुंह से निकले हुए शब्द किसी के भाग्य का निर्माण भी कर सकते हैं तो किसी के भाग्य के सितारे को सदा के लिए अस्त भी कर सकते हैं। इनमें निहित ऊर्जा को बहुत सोच समझकर उपयोग करना चाहिए। व्यर्थ बोलने से ना केवल शारीरिक शक्ति खर्च होती है किंतु मानसिक शक्तियों का भंडार भी  खाली होता है। तो जब भी बोले - समय देखकर,सोच समझ कर बोलें।


 

संकल्प की ऊर्जा

संकल्प अर्थात हम से निकलने वाली निरंतर बहने वाली ऊर्जा की धारा जो विचारों के रूप में लगातार हम से प्रसारित होती रहती है। वास्तव में इस जगत में आने के बाद हम चलना - फिरना, खाना - पीना, उठना - बैठना पढ़ना इत्यादि सीखते हैं किंतु दुर्भाग्य से यह कोई नहीं जानता कि जैसे सोचना है। विचारों की शक्ति अद्भुत है किंतु इसी शक्ति को हम सबसे अधिक नजरअंदाज करते हैं एवं उसका दुरुपयोग स्वयं ही अपने विरुद्ध करते हैं। सुनने में यह बड़ा अजीब लगता है किंतु है बिल्कुल सत्य।
 हमसे निकलने वाला हर विचार अपने आप में ऊर्जा का भंडार होता है। हर संकल्प की एक आवृत्ति होती है। जितना शक्तिशाली संकल्प, उतनी ही शक्तिशाली उसकी आवृत्ति होती है, चाहे वह संकल्प सकारात्मक हो या नकारात्मक। इससे ही पता चलता है कि हमारे सोचने के तरीके से हम, अपने आसपास किस तरह का वातावरण निर्मित करते हैं और अपने जीवन को कैसी दिशा देते हैं। तो अब जब भी सोचे संभल कर सोचे।


 

बड़प्पन की गरिमा


किसी भी व्यक्ति का बड़प्पन उसके चरित्र और उसके गुणों से झलकता है ना कि उसके पद अथवा नाम से। अधिकांशतः इस संसार में लोग अपने पद और प्रतिष्ठा के बल पर अपने अधीन व्यक्तियों को दबाते हैं एवं अपना  महत्व दर्शाते हैं किंतु एक बात याद रखना है कि ऐसा प्रभुत्व बहुत लंबा नहीं चलता। दबाव में आकर शायद उस समय तो वह व्यक्ति आप का प्रभुत्व स्वीकार कर ले किंतु आप उसके हृदय में कभी स्थान नहीं बना पाएंगे। 
इतिहास गवाह है कि वही व्यक्ति महापुरुष कहलाए जिन्होंने अपने पद एवं प्रतिष्ठा के बल पर नहीं बल्कि अपने आचरण से लोगों को मजबूर किया कि वह स्वयं ही उनका गुणगान करें।अगर बड़ा बनना ही है तो क्यों ना गुणों की खान बने जिससे स्वयं ही लोग आपके आगे नतमस्तक हो और आपकी बड़प्पन को नमस्कार करें।

 

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

संकल्प - जीवन का आधार



 
हमारे संकल्प अर्थात ऊर्जा से पूर्ण हमारे विचार। इस जगत में कुछ भी घटने के पहले इस ऊर्जा का निर्माण हमारे मन में होता है जो आगे चलकर भौतिक रूप से प्रगट होता है। आश्चर्य की बात है कि हम कभी यह समझ ही नहीं पाए की संकल्प की शक्ति कितनी महत्वपूर्ण है। जैसे संकल्प हम करते हैं वैसे ही ऊर्जा को हम ब्रह्मांड से अपनी और आकर्षित करते हैं और वैसे ही भाग्य का निर्माण हम करते हैं। अर्थात हमारे आसपास का वातावरण हमारे ही संकल्पों की देन है जिसे हम जानते ही नहीं हैं। 
हमारे संकल्प उस उर्जा का एक महत्वपूर्ण भाग है जो हमारे जीवन को गढ़ती है। एक सुखद भविष्य और एक सुंदर जीवन को आकर्षित करने के लिए यह जानना जरूरी है कि संकल्पों में नकारात्मकता अथवा कमजोरी हमारे जीवन को भी दुख से भर सकती है। अतः  अपने आसपास के वातावरण के रचनाकार हम स्वयं ही हैं और उसकी रचना श्रेष्ठ संकल्पों के आधार पर होती है।

सम्मान

सम्मान उस निवेश की तरह है जो हमें वैसे ही वापस मिलता है जैसे हमने दूसरों को दिया था। जितना सम्मान अथवा अपमान हम दूसरों का करते हैं वह सारे का सारा ब्याज सहित हमें वापस मिल जाता है।यह वह ऊर्जा है जो देने पर कई गुना होकर हम तक वापस आती है। बिना दूसरों को आदर अथवा सम्मान दिए हम उनके हृदय में भी स्थान नहीं बना सकते। 
बहुत से ऊंचाइयों पर पहुंचे हुए बड़े व्यक्ति अहंकारवश अपने नीचे काम करने वाले लोगों को तुच्छ समझते हैं एवं अहंकार  के वश होकर उन्हें कभी सम्मान नहीं देते। किंतु वह भूल जाते हैं कि जो ऊर्जा उन्होंने उन्हें स्थानांतरित की वही समय के साथ उसी रूप में वापस उन तक आती है। यह विनिमय प्रकृति का नियम है। तो अगर सबके हृदय में विराजना है तो सम्मान लेने के पहले देना सीखना होगा।
 

प्रशंसा की शक्ति

प्रशंसा एक दो धारी तलवार की तरह होती है। इसका स्वाद जो ना चखे वह उसके लिए तरसता है किंतु जो उसे चख लेता है वह अति उत्साहित होकर खुशी में आत्ममुग्ध सा हो जाता है। पुरानी कहावतो में कहा भी गया है कि अपने निंदक को हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि वह हमें सदा अपनी बुराइयों से परिचित कराता रहता है एवं आत्ममुग्ध होने से बचाता है। 

बड़े-बड़े महात्मा और महापुरुष भी काल के चक्र में पड़कर किसी समय विशेष पर प्रशंसा पाकर अभिमानी हो गए और अपने गुणों की तिलांजलि दे दी।प्रशंसा पाकर अक्सर बड़े-बड़े प्रभावशाली व्यक्तित्व के महापुरुष भी चाटूकारों के प्रभाव में आ जाते हैं एवं सच्चे मित्रों को खो देते हैं| अतः यह सत्य है कि प्रशंसा पाने में तो बड़ी अच्छी लगती है किंतु उसका भार उठाना अच्छे अच्छों को भारी पड़ता है।


 

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

लक्ष्य की महानता

लक्ष्य निर्धारण हर व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल होता है। उसका सारा जीवन इसी पर निर्भर करता है कि वह अपने लक्ष्य को कितनी समझदारी और सुंदरता से निर्धारित करता है। लक्ष्यहीन मनुष्य जंगल में भटकते हुए उस राहगीर के समान है जिसे अपनी मंजिल नहीं मालूम होती। लक्ष्य को साधने के पहले आवश्यक है उसको निर्धारित करना। लक्ष्य को निर्धारित करने में सबसे पहला कदम है अपने दिल की आवाज को सुनना और फिर सही दिशा में सही मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़ना।
यदि हमें अपने लक्ष्य का कोई स्पष्ट अनुमान नहीं होता तो सिवाय भटकन के जीवन में और कुछ प्राप्त नहीं होता। ऐसा मनुष्य जीवन भर दूसरे के लक्ष्यों के लिए अपना अमूल्य समय नष्ट करता है।  अतः जीवन को सच्चे अर्थों में जीना है तो सबसे पहले अपना लक्ष्य निर्धारण करना होगा।

 

सोमवार, 14 सितंबर 2020

संकल्प की शक्ति

 


अंतर्मन की परतें काफी गहन और विस्तृत है। वस्तुतः जो कुछ भी हमारे जीवन में घटता है उसका निर्माण पहले हमारे अंतः करण में होता है। उस घटना की कल्पना से लेकर उसकी एक सजीव झांकी जो हमारे मन में निर्मित होती है वही वास्तव में बाद में भौतिक जगत में हमारे सामने आती है। भौतिक जगत में जो होता है उसे तो हम महत्व देते हैं किंतु जो उसकी रचना हमारे अंतर्मन में होती है उसके महत्व को हम नजरअंदाज कर देते हैं। 
अगर हम पहले से ही इसके प्रति सजग हो जाएं तो हम जो चाहे, जैसा चाहे वैसा वातावरण अपने आसपास निर्मित कर सकते हैं। हमारी सारी ऊर्जा अगर हम संकल्पों के माध्यम से, पहले अपने अंतर्मन में केंद्रित करें तो भौतिक जगत में हम उसके परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...