यह ब्लॉग अंतर्मन के मंथन से निकले हुए सुंदर विचारों का एक गुलदस्ता है जो सीधे हमारे हृदय को स्पर्श करते हैं और निरंतर अच्छा करने की प्रेरणा देते हैं|
लोकप्रिय पोस्ट
-
सुविचार,शुभ संकल्प,श्रेष्ठ विचार आदि नामों से हम परिचित हैं और कदाचित उसकी शक्ति से भी। अपने माता पिता एवं गुरुजनों से एवं बड़े बूढ़ों से हम...
-
हमारे जीवन का अधिकतर समय दूसरों के साथ संपर्क साधने में एवं उनसे लोक व्यवहार करने में जाता है। दिनभर की गतिविधियों में भी हम अधिक से अधिक सम...
-
आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...
-
आज हर इंसान जीवन में खुशी चाहता है और इस खुशी की खोज में वह तरह-तरह के तरीके अपनाता है। चाहे वह सैर सपाटा हो,अच्छा भोजन हो, अच्छा पहनावा हो ...
-
अच्छे विचारों का महत्व कौन नहीं जानता ? विचार अगर अच्छे हो तो एक व्यक्ति से लेकर वह समाज एवं राष्ट्र का नक्शा ही बदल देते हैं , इतनी ताकत ...
-
अनेकों व्यक्तियों का स्वभाव बड़ा ही व्यंग्यात्मक होता है। वह किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करते और सदा ही तंज कसते कसते रहते हैं। ऐसे व्यक्त...
-
आज पूरी दुनिया अगर किसी चीज से सबसे ज्यादा आतंकित है तो वह है रिश्तो की उलझन, संस्कारों का टकराव। आज लोगों के पास सुख साधन तो है ,धन भी भर...
-
कहते हैं शब्दों की गरिमा रखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। शब्दों की शक्ति का एहसास बहुत कम लोगों को होता है। कुछ उन्ही शब्दों से अपने जी...
-
बड़ी विचित्र बात है क्या आपने कभी यह सोचा है कि जब आप किसी से मिल रहे होते हैं तो इससे आपका चरित्र भी प्रगट होता है। वास्तव में हमारे तौर ...
-
हमारी जीभ को ईश्वर से एक अद्भुत वरदान मिला है- वाणी का। वाणी की शक्ति अपने आप में ऐसी अनुपम शक्ति है जिसकी ऊर्जा से समय-समय पर पूरा संसार आं...
सोमवार, 3 मई 2021
सुविचार की ताकत
सोमवार, 1 फ़रवरी 2021
खुद से दोस्ती
कहते हैं सबसे संतुलित व्यक्ति वहां
होता है जो अपने आप में आंतरिक रुप से संचालित होता है। जिसने स्वयं से दोस्ती कर
रखी हो और जो स्वयं अपने आप से तालमेल में हो, वह बाहर भी जीवन के हर क्षेत्र में संतुलित
एवं सशक्त होता है। अगर अंदर शांति है, स्थिरता है, तो वह बाहर भी
छलकेगी। अंदर का तेज जब बाहर आता है तो प्रकाश बनकर चारों और फैलता है और दूसरों
को भी प्रकाशित करता है।
वास्तव में हमारे जीवन की सबसे खूबसूरत
पल वह होते हैं जो हम स्वयं के साथ बिताते हैं, जब हम स्वयं को टटोलते हैं, स्वयं को समझते
हैं और स्वयं को निखारते हैं। जिसने अपने आप को जितना अधिक जाना और तराशा उसकी आभा
पूरे जगत में उतनी ही विस्तृत हुई।
मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
कर्म फल
यह विचार पढ़ते समय आपको लगता होगा कि
यह कैसा विचार है ? एक सकारात्मक विचार तो हमेशा यह कहता है कि हमारा जीवन तो हमारे
हाथों में होता है, उसकी लगाम तो हमारे हाथों में ही हैं फिर जीवन की चालें पहले से
निश्चित कैसे हुई ? वास्तव में यह विचार हमारे कर्मों की प्रतिछाया को दिखाने वाला विचार
है। हम जैसे कर्म करते हैं हमारा भविष्य तो पहले ही निश्चित हो जाता है।
जो कुछ भी हम पा रहे होते हैं वह और
कुछ नहीं जो हमने दिया उसी का फल है और जो हम कर रहे हैं वह हम भविष्य में पाएंगे
चाहे वह प्रेम हो, सेवा हो या कृतज्ञता हो। तो हमारे कर्मों का परिणाम ही हमारे सामने
आता है । अतः जीवन की चाले तो तभी निश्चित हो जाती हैं जब हम अच्छे बुरे कर्मों को
करते हैं।
खुद को निखारे
आज की भौतिक दुनिया में अधिकांश लोग यह
समझते हैं कि दिखावा कर कर वह अपने मूल व्यवहार को, अपने मूल स्वभाव को छुपा
सकते हैं। वह यह नहीं जानते कि हमारा मूल स्वभाव किसी छेद से निकलती हुई प्रकाश की
तरंगों जैसा है। हमारे व्यवहार में भी कहीं ना कहीं ऐसे छोटे-छोटे छेद होते हैं जो
ना चाहते हुए भी सामने दिख ही जाते हैं। अगर अंदर कचरा हो तो बाहर भी उसका
प्रतिरूप ही दिखेगा, अगर अंदर अशांति हो तो चेहरे की भाव भंगिमा भी अपने आप ही ऐसी हो
जाती हैं।
चाहे उन्हें कितना भी श्रृंगार करके
छुपाया जाए किंतु वह भाव नहीं छुपते। अतः सबसे पहले अगर किसी पर कार्य करना है तो
वह स्वयं हम ही हैं। जब तक हमारे अंतरतम को शांति, प्रेम और सद्गुणों से नहीं सजाया जाएगा, हमारी परछाई भी
हमारी सच्चाई को बयां करेगी।
सोमवार, 23 नवंबर 2020
परिवार
परिवार- यह शब्द हम सब के लिए कितना
महत्वपूर्ण है, कितना दिल के करीब है हम सब जानते हैं। उससे भी बढ़कर आप किसी अनाथ
से पूछे कि परिवार क्या होता है तो जैसे या प्रश्न उसके लिए जिंदगी जैसा ही
महत्वपूर्ण होगा। आज परिवार टूट रहे हैं, बिखर रहे हैं । इंसानों की संपन्नता तो बढ़
रही है लेकिन वह अंदर से खाली होता जा रहा है क्योंकि वास्तव में अंदर से भरा पूरा
महसूस करने के लिए, साधनों की नहीं एक साथ की, अपनों की जरूरत होती है।
आज के समय में दिखावा बढ़ता जा रहा है और अपने
हितैषी पीछे छूटते जा रहे हैं। परिवार समाज का वह महत्वपूर्ण अंग है, वह धुरी है
जिसके आसपास समाज की रचना होती है एवं उसमें मानवता सांस लेती है। परिवार को बचाना
है तो सबसे पहले व्यक्ति से शुरुआत करनी होगी और वह पहला व्यक्ति खुद आप ही क्यों
ना हो ?
शनिवार, 21 नवंबर 2020
समाधान
आज हर किसी के पास समस्याओं का भंडार
है। ऐसा नहीं है कि पुराने समय में मानव सभ्यता के सामने समस्याएं नहीं होती थी
किंतु आज समस्या के प्रति मानव का जो दृष्टिकोण है वह पहले नहीं होता था। अपनी
आत्मिक शक्ति के बल पर मनुष्य में अनेकों समस्याओं का सामना किया है यह सच है। वास्तव
में समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितना कि हमारा उसके प्रति दृष्टिकोण और उसके
प्रति प्रतिक्रिया।
व्यक्तिगत स्तर पर बड़ी-बड़ी
दुर्घटनाएं इसीलिए होती है क्योंकि किसी विशेष क्षण में मनुष्य समस्या से इतना
व्याकुल हो जाता है कि वह उसपर ठंडे दिमाग से विचार कर उसके समाधान के प्रति सोच
ही नहीं पाता। अधिकांश समस्याएं तभी हल हो सकती हैं जब हम उनके प्रति अपनी
प्रतिक्रिया को बदलें। हम समस्या पर विचार करें ना कि उसके प्रति प्रतिक्रिया दें।
गुरुवार, 19 नवंबर 2020
आत्ममंथन
कहावत है आईना कभी झूठ नहीं बोलता और
इसीलिए अधिकांश व्यक्ति स्वयं का स्वयं से सामना करने में झिझकते हैं,डरते हैं।
वास्तव में दुनिया में सबसे कठिन कार्य खुद का सामना करना ही है। जो स्वयं का
सामना कर सकता है, अपनी ही बुराइयों का शमन कर सकता है, वह जग जीत सकता है। अपनी कमजोरियों को जीतना
मतलब जग को जीतने की तैयारी करना।
अधिकांश व्यक्ति इससे अनभिज्ञ रहते हैं
एवं जीवन भर भी दूसरों की बुराई और दुर्गुणों को देखने में बिताते हैं। तो आज से
आत्ममंथन को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मानकर उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें
फिर देखें अपने में बदलाव।
रविवार, 15 नवंबर 2020
स्व संवाद
अधिकांश
मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ हमारे मन के अंदर होती है। जब भी किसी मानसिक रूप से
परेशान व्यक्ति को देखते हैं तो यहां यह पाते हैं कि उसकी समस्याओं की जड़ तो उसके
अंदर ही है। आज का युग मानसिक समस्याओं का युग है और आज के युग की सबसे बड़ी
बीमारी है अवसाद, तनाव क्योंकि आज इंसान अकेला है एवं साधन संपन्न होते हुए भी अपने
अहम के कारण एक घर में रहते हुए भी अपनों से कटा हुआ है।
समस्याओं का प्रकार इस बात पर भी निर्भर करता है
कि हमारा स्वयं से संवाद कैसा है। आज अगर कुछ बिगड़ा हुआ है तो वह हमारा स्वयं से
संवाद ही है। हम स्वयं से किस भाषा में बात करते हैं उससे हमारेे पूरेे व्यक्तित्व
का निर्माण होता है और उसी से हमारे रिश्तो का भी बनना बिगड़ना होता है। अगर एक
सकारात्मक पहल करनी है तो सबसे पहले रोज स्वयं से सकारात्मक संवाद करने की आदत
डालनी होगी।
स्वयं से रिश्ता
आज रिश्तो की नींव हिली हुई है, इंसान अकेला
है। संयुक्त परिवार टूट गए हैं और जो एकल परिवार भी हैं उनमें भी सामंजस्य नहीं
है। परिवार के सदस्यों में प्रेम की भावना कम होती जा रही है क्योंकि कहीं ना कहीं
शुरुआत ही गलत है। अगर ध्यान से विश्लेषण किया जाए तो यह देखने में आता है कि
वास्तव में इंसान स्वयं से ही परेशान है। उसका स्वयं से ही रिश्ता अच्छा नहीं है
इसलिए वह दूसरों से भी एक स्वस्थ और गहरा रिश्ता बना पाने में सक्षम नहीं है इसलिए
यह मान सकते हैं कि शुरुआत स्वयं से ही होती है।
स्वयं को समझना रिश्तो को निभाने की
पहली सीढ़ी है। देखने में आता है कि जो स्वयं के साथ एक सुंदर रिश्ता रखते हैं
हमें दूसरों के साथ भी बड़ी सरलता से जुड़ जाते हैं। तो पहले खुद से दोस्ती कीजिए
फिर देखिए रिश्ते कैसे सुंदर बनते हैं।
शनिवार, 7 नवंबर 2020
सफलता की उड़ान
सफलता आज के समय में कौन नहीं चाहता।
आज हर कोई नाम शोहरत और और धन चाहता है। इस सफलता के लिए हर व्यक्ति अपनी ओर से
पूरा प्रयास करता है हर तरह की कलाएं और गुण सीखता है, अपने
व्यक्तित्व के ऊपर कार्य करता है किंतु जब उसे सफलता मिल जाती है तो वह अपनी जमीन
और अपनी मिट्टी से मुंह मोड़ लेता है। वह अपने संघर्ष को तो याद रखता है लेकिन
अपने से नीचे जो लोग हैं उनका दमन शुरू कर देता है।
सफलता के नशे में वह यह भूल जाता है कि
पक्षी चाहे कितनी भी ऊंची उड़ान क्यों ना भरे अंततः उसे जमीन पर पांव रखना ही है।
अपनी जड़ों को छोड़कर कोई भी जीवित नहीं रह सकता। कहीं ना कहीं उसके अंदर अधूरापन
रह जाता है इसलिए सदैव संतुलित एवं अनुशासित रहे।
रविवार, 25 अक्टूबर 2020
आत्मसुधार
बात है बड़ी छोटी किंतु बहुत ही
महत्वपूर्ण जो वास्तव में हम जानते ही नहीं। जितना अधिक हम लोगों के अवगुणों को
देखते हैं उनमें खामियां निकालते हैं धीरे धीरे वह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर
जाते हैं। कोई भी इस बात पर आपत्ति कर सकता है कि ऐसा कैसे हो सकता है किंतु है यह
सत्य। कहते हैं हमारे आसपास की सृष्टि हमारे संकल्प और विचारों से ही बनती है।
यदि हम दिन भर व्यर्थ विचारों में गोता
लगाते रहेंगे एवं हर ओर खामियां ही देखते रहेंगे तो यह हमारी दृष्टि ही बन जाएगी।
एक बार आदत में शामिल होने पर धीरे धीरे यह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं
और हमें पता ही नहीं चलता। अतः दूसरे के अवगुणों को धारण ना करने के लिए सबसे
अच्छा उपाय है उनके अवगुणों को ना देखना।
शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020
आत्म सुधार
ख़ुशी की खुराक
आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...
-
सुविचार,शुभ संकल्प,श्रेष्ठ विचार आदि नामों से हम परिचित हैं और कदाचित उसकी शक्ति से भी। अपने माता पिता एवं गुरुजनों से एवं बड़े बूढ़ों से हम...
-
हमारे जीवन का अधिकतर समय दूसरों के साथ संपर्क साधने में एवं उनसे लोक व्यवहार करने में जाता है। दिनभर की गतिविधियों में भी हम अधिक से अधिक सम...
-
आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...