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रविवार, 25 अक्टूबर 2020

सुनने की कला

जैसे बोलने की कला अपने आप में एक महत्वपूर्ण कला है वैसे ही एक अच्छा श्रोता बनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अधिकतर लोग इससे अनभिज्ञ रहते हैं कि अच्छे रिश्ते की नींव एक अच्छा श्रोता बनना होता है। जितना अधिक हम दूसरों को ध्यान से और गहराई पूर्वक सुनते हैं उतना ही हमारा रिश्तो में अनुभव बढ़ता जाता है एवं हम लोगों को समझ पाते हैं। इससे हमारी परखने की शक्ति भी मजबूत होती है जिससे भविष्य में भी हम अपने रिश्तो की नींव को कमजोर नहीं होने देते। 
अधिकतर लोग इसको ना समझते हुए केवल इसलिए सुनते हैं कि उन्हें सुनी हुई बात का जवाब देना है। वास्तव में हर मनुष्य में इस बात की भूख है कि कोई उसे सुनी एवं समझे। यदि हम लोगों को सुनना सीख गए तो रिश्तो की उलझन में हम आधा तो जीत ही जाते हैं।

 

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