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बुधवार, 21 अप्रैल 2021

वाणी का प्रभाव

बहुत से लोग बहुत अधिक बोलने के आदी होते हैं। परिणाम यह होता है कि लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते और ना ही उन्हें सुनना पसंद करते हैं। साथ ही साथ शब्दों की शक्ति और मानसिक शक्ति का जो व्यय होता है वह अलग।

अतः अपने व्यक्तित्व को प्रभावी बनाना हो तो सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपकी बात का वजन हो । बात को प्रभावी बनाने के लिए यह जरूरी है कि आपकी बात की गहराई ज्यादा हो ना लंबाई। अक्सर लंबी बातें अपने उद्देश्य से भटक जाती हैं और अपना महत्व खो देती हैं अतः कम बोले, सार्थक बोले।


 

बुधवार, 24 मार्च 2021

सहयोग की शक्ति

 

सहयोग की शक्ति एक बहुत ही प्रभावशाली एवं महान शक्ति है। बचपन में परिवार से लेकर समाज एवं राष्ट्र निर्माण में इसी का योगदान है। शायद आज इसका महत्व थोड़ा नजरअंदाज हो रहा है क्योंकि समाज इस समय थोड़ा सिकुड़ा हुआ और परिवार भी अपने में सिमटे हुए हैं।सहयोग जीवन में जादू की तरह काम करता है।

यह किसी भी रूप में हो सकता है - चाहे वह मित्र का सहयोग हो, परिवार का सहयोग हो, या हमारे आसपास हमारे परिचितों या पड़ोसियों का हो। जीवन का सिद्धांत है जिस और हमारी चेतना और हमारा ध्यान केंद्रित होता है वह हमें मिलता है। तो सहयोग की शक्ति को पहचाने एवं उसे अपने जीवन का अंग बनाएं।


सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

खुद से दोस्ती

कहते हैं सबसे संतुलित व्यक्ति वहां होता है जो अपने आप में आंतरिक रुप से संचालित होता है। जिसने स्वयं से दोस्ती कर रखी हो और जो स्वयं अपने आप से तालमेल में हो, वह बाहर भी जीवन के हर क्षेत्र में संतुलित एवं सशक्त होता है। अगर अंदर शांति है, स्थिरता है, तो वह बाहर भी छलकेगी। अंदर का तेज जब बाहर आता है तो प्रकाश बनकर चारों और फैलता है और दूसरों को भी प्रकाशित करता है।

वास्तव में हमारे जीवन की सबसे खूबसूरत पल वह होते हैं जो हम स्वयं के साथ बिताते हैं, जब हम स्वयं को टटोलते हैं, स्वयं को समझते हैं और स्वयं को निखारते हैं। जिसने अपने आप को जितना अधिक जाना और तराशा उसकी आभा पूरे जगत में उतनी ही विस्तृत हुई।


 

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

कर्म फल

यह विचार पढ़ते समय आपको लगता होगा कि यह कैसा विचार है ? एक सकारात्मक विचार तो हमेशा यह कहता है कि हमारा जीवन तो हमारे हाथों में होता है, उसकी लगाम तो हमारे हाथों में ही हैं फिर जीवन की चालें पहले से निश्चित कैसे हुई ? वास्तव में यह विचार हमारे कर्मों की प्रतिछाया को दिखाने वाला विचार है। हम जैसे कर्म करते हैं हमारा भविष्य तो पहले ही निश्चित हो जाता है।

जो कुछ भी हम पा रहे होते हैं वह और कुछ नहीं जो हमने दिया उसी का फल है और जो हम कर रहे हैं वह हम भविष्य में पाएंगे चाहे वह प्रेम हो, सेवा हो या कृतज्ञता हो। तो हमारे कर्मों का परिणाम ही हमारे सामने आता है । अतः जीवन की चाले तो तभी निश्चित हो जाती हैं जब हम अच्छे बुरे कर्मों को करते हैं।


 

खुद को निखारे

आज की भौतिक दुनिया में अधिकांश लोग यह समझते हैं कि दिखावा कर कर वह अपने मूल व्यवहार को, अपने मूल स्वभाव को छुपा सकते हैं। वह यह नहीं जानते कि हमारा मूल स्वभाव किसी छेद से निकलती हुई प्रकाश की तरंगों जैसा है। हमारे व्यवहार में भी कहीं ना कहीं ऐसे छोटे-छोटे छेद होते हैं जो ना चाहते हुए भी सामने दिख ही जाते हैं। अगर अंदर कचरा हो तो बाहर भी उसका प्रतिरूप ही दिखेगा, अगर अंदर अशांति हो तो चेहरे की भाव भंगिमा भी अपने आप ही ऐसी हो जाती हैं।

चाहे उन्हें कितना भी श्रृंगार करके छुपाया जाए किंतु वह भाव नहीं छुपते। अतः सबसे पहले अगर किसी पर कार्य करना है तो वह स्वयं हम ही हैं। जब तक हमारे अंतरतम को शांति, प्रेम और सद्गुणों से नहीं सजाया जाएगा, हमारी परछाई भी हमारी सच्चाई को बयां करेगी।


 

सुंदर विचार

 

संकल्प यानी हमारे विचार और उन से निकली हुई तरंगे। हम सभी विचारों की शक्ति से वाकिफ है कि कैसे एक सुंदर विचार एक सुंदर कर्म में बदलता है और अनेकों को लाभ पहुंचाता है। दुनिया में जहां कहीं भी कुछ भी महान एवं अच्छा होता है उसके  पीछे एक शक्तिशाली एवं सुंदर विचार का ही हाथ होता है। सबसे पहले वह विचार मानसिक जगत में प्रकट होता है और फिर वह भौतिक जगत में रूप लेता है। कर्मों में उतर कर वह और भी सुंदर बन जाता है एवं हजारों लाखों तक पहुंचकर उसका प्रकाश और भी तीव्र हो जाता है।

सबसे अच्छी बात जो सुंदर संकल्प के बारे में है वह यह है कि वह हमारी उस शक्ति को व्यर्थ होने से बचाता है जो दिन रात गलत विचारों में खपकर कुछ अच्छा और सार्थक करने से रोकती है। अतः सबसे पहले अपने संकल्पों पर नजर डालें यह आपके लिए वरदान भी हो सकते हैं और अभिशाप भी।


सोमवार, 23 नवंबर 2020

संपन्नता

संपन्नता- एक अद्भुत शब्द जो हर इंसान की इच्छाओं में से एक है। हर इंसान अपने जीवन में दिन रात मेहनत करके सारे साधनों को इकट्ठा करना चाहता है एवं तमाम शानो शौकत इकट्ठा करना चाहता है। वास्तव में यह बहुत कम लोगों को ज्ञात है की संपन्नता बाहरी नहीं अंदरूनी होती है। संपन्नता बाहर तो बाद में दिखाई देती है किंतु यह वास्तव में आंतरिक है, यह आपके विचारों में बसती है।

एक पुरानी कहावत है कि जेब में पांच रुपये भी हो तो शान से कहो- काफी है। वास्तव में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास सब कुछ होते हुए भी वह अंदर से रिक्त महसूस करते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जो कम होने के बाद भी अंदर से मालामाल है। अतः संपन्नता केवल धन से ही संबंधित नहीं है वह रिश्तो में भी है, साधनों में भी है और सबसे बढ़कर आपकी आंतरिक संतुष्टि में है। उस पर ध्यान केंद्रित करें, वही सच्ची संपन्नता है।


 

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...