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मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

कर्म फल

यह विचार पढ़ते समय आपको लगता होगा कि यह कैसा विचार है ? एक सकारात्मक विचार तो हमेशा यह कहता है कि हमारा जीवन तो हमारे हाथों में होता है, उसकी लगाम तो हमारे हाथों में ही हैं फिर जीवन की चालें पहले से निश्चित कैसे हुई ? वास्तव में यह विचार हमारे कर्मों की प्रतिछाया को दिखाने वाला विचार है। हम जैसे कर्म करते हैं हमारा भविष्य तो पहले ही निश्चित हो जाता है।

जो कुछ भी हम पा रहे होते हैं वह और कुछ नहीं जो हमने दिया उसी का फल है और जो हम कर रहे हैं वह हम भविष्य में पाएंगे चाहे वह प्रेम हो, सेवा हो या कृतज्ञता हो। तो हमारे कर्मों का परिणाम ही हमारे सामने आता है । अतः जीवन की चाले तो तभी निश्चित हो जाती हैं जब हम अच्छे बुरे कर्मों को करते हैं।


 

खुद को निखारे

आज की भौतिक दुनिया में अधिकांश लोग यह समझते हैं कि दिखावा कर कर वह अपने मूल व्यवहार को, अपने मूल स्वभाव को छुपा सकते हैं। वह यह नहीं जानते कि हमारा मूल स्वभाव किसी छेद से निकलती हुई प्रकाश की तरंगों जैसा है। हमारे व्यवहार में भी कहीं ना कहीं ऐसे छोटे-छोटे छेद होते हैं जो ना चाहते हुए भी सामने दिख ही जाते हैं। अगर अंदर कचरा हो तो बाहर भी उसका प्रतिरूप ही दिखेगा, अगर अंदर अशांति हो तो चेहरे की भाव भंगिमा भी अपने आप ही ऐसी हो जाती हैं।

चाहे उन्हें कितना भी श्रृंगार करके छुपाया जाए किंतु वह भाव नहीं छुपते। अतः सबसे पहले अगर किसी पर कार्य करना है तो वह स्वयं हम ही हैं। जब तक हमारे अंतरतम को शांति, प्रेम और सद्गुणों से नहीं सजाया जाएगा, हमारी परछाई भी हमारी सच्चाई को बयां करेगी।


 

सुंदर विचार

 

संकल्प यानी हमारे विचार और उन से निकली हुई तरंगे। हम सभी विचारों की शक्ति से वाकिफ है कि कैसे एक सुंदर विचार एक सुंदर कर्म में बदलता है और अनेकों को लाभ पहुंचाता है। दुनिया में जहां कहीं भी कुछ भी महान एवं अच्छा होता है उसके  पीछे एक शक्तिशाली एवं सुंदर विचार का ही हाथ होता है। सबसे पहले वह विचार मानसिक जगत में प्रकट होता है और फिर वह भौतिक जगत में रूप लेता है। कर्मों में उतर कर वह और भी सुंदर बन जाता है एवं हजारों लाखों तक पहुंचकर उसका प्रकाश और भी तीव्र हो जाता है।

सबसे अच्छी बात जो सुंदर संकल्प के बारे में है वह यह है कि वह हमारी उस शक्ति को व्यर्थ होने से बचाता है जो दिन रात गलत विचारों में खपकर कुछ अच्छा और सार्थक करने से रोकती है। अतः सबसे पहले अपने संकल्पों पर नजर डालें यह आपके लिए वरदान भी हो सकते हैं और अभिशाप भी।


सोमवार, 23 नवंबर 2020

संपन्नता

संपन्नता- एक अद्भुत शब्द जो हर इंसान की इच्छाओं में से एक है। हर इंसान अपने जीवन में दिन रात मेहनत करके सारे साधनों को इकट्ठा करना चाहता है एवं तमाम शानो शौकत इकट्ठा करना चाहता है। वास्तव में यह बहुत कम लोगों को ज्ञात है की संपन्नता बाहरी नहीं अंदरूनी होती है। संपन्नता बाहर तो बाद में दिखाई देती है किंतु यह वास्तव में आंतरिक है, यह आपके विचारों में बसती है।

एक पुरानी कहावत है कि जेब में पांच रुपये भी हो तो शान से कहो- काफी है। वास्तव में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास सब कुछ होते हुए भी वह अंदर से रिक्त महसूस करते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जो कम होने के बाद भी अंदर से मालामाल है। अतः संपन्नता केवल धन से ही संबंधित नहीं है वह रिश्तो में भी है, साधनों में भी है और सबसे बढ़कर आपकी आंतरिक संतुष्टि में है। उस पर ध्यान केंद्रित करें, वही सच्ची संपन्नता है।


 

परिवार

परिवार- यह शब्द हम सब के लिए कितना महत्वपूर्ण है, कितना दिल के करीब है हम सब जानते हैं। उससे भी बढ़कर आप किसी अनाथ से पूछे कि परिवार क्या होता है तो जैसे या प्रश्न उसके लिए जिंदगी जैसा ही महत्वपूर्ण होगा। आज परिवार टूट रहे हैं, बिखर रहे हैं । इंसानों की संपन्नता तो बढ़ रही है लेकिन वह अंदर से खाली होता जा रहा है क्योंकि वास्तव में अंदर से भरा पूरा महसूस करने के लिए, साधनों की नहीं एक साथ की, अपनों की जरूरत होती है।

 आज के समय में दिखावा बढ़ता जा रहा है और अपने हितैषी पीछे छूटते जा रहे हैं। परिवार समाज का वह महत्वपूर्ण अंग है, वह धुरी है जिसके आसपास समाज की रचना होती है एवं उसमें मानवता सांस लेती है। परिवार को बचाना है तो सबसे पहले व्यक्ति से शुरुआत करनी होगी और वह पहला व्यक्ति खुद आप ही क्यों ना हो ?


 

स्व प्रेरणा

हर व्यक्ति के जीवन में एक प्रेरणा होती है - ऐसा कोई व्यक्ति जो आपके करीब हो या फिर आपके लिए एक आदर्श हो। यह प्रेरणा उस व्यक्ति को लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। पर क्या वास्तव में आपकी प्रेरणा बाहरी है? बहुत ध्यान से अगर आप इस प्रश्न के ऊपर सोचे और अवलोकन करें तो पाएंगे कि आप की प्रेरणा तो स्वयं आप ही हैं। पर कैसे?

 वह ऐसे कि कितने भी बाहरी प्रयत्न कर लिए जाएं आपको जगाने के लेकिन जिस क्षण आप उसे स्वीकार करते हैं एवं आगे बढ़ने का निर्णय लेते हैं उसी दिन आप उस प्रेरणा को ग्रहण करते हैं। तो वास्तव में आप स्व प्रेरित ही हुए ना। 


 

शनिवार, 21 नवंबर 2020

ज्ञान एक खज़ाना

हर ज्ञानी का पतन एक दिन उसके अहंकार के कारण ही हुआ है। इतिहास गवाह है कि जिसने अपने ज्ञान को संभाल कर नहीं रखा, उसे समय के साथ तराशा नहीं एवं उसके महत्व को नहीं जाना, उसे समय ने भुला दिया। जितने महान व्यक्तित्व इस दुनिया में हुए हैं उन सभी ने आजीवन एक विद्यार्थी बनकर अपने ज्ञान को नई ऊंचाई दी है।

ज्ञान की तलवार तब और भी धारदार एवं शक्तिशाली हो जाती है जब उसमें आजमाने और चुनौतियों का सामना करने का दम भर जाता है। अतः अपने आप को निरंतर चुनौती देते रहने से आपका ज्ञान कमल की तरह खिलकर चारों और अपना सौंदर्य बिखेरता है, इसे सदैव याद रखें।


 

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...