अक्सर
संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है एक दूसरे को गहराई से समझना एवं
भावनात्मक संबल देना। सबसे शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति भी भावनात्मक स्तर पर
यदि अपने आप को भरा पूरा महसूस नहीं करता है तो यह आंतरिक खालीपन उसको आत्मिक रूप
से शक्तिशाली नहीं बनने देता। वास्तव में हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि भले
वह प्रगट ना करें किंतु कोई उसे अंदर से समझे एवं उसकी भावनाओं को पोषित करें।
लोगों को पढ़ना भी एक कला है किंतु इस
कला का उपयोग केवल किसी निष्कर्ष निकालने के लिए नहीं बल्कि उन्हें अंदर से शक्ति
एवं साहस देने के लिए होना चाहिए। आत्मबल को बढ़ाने वाला तो इस युग में सबसे बड़ा
मित्र है। लोगों को पढ़ना अगर एक कला है तो यह
कला लंबे काल के अभ्यास के बाद विकसित होती है। इस ज्ञान के आगे बड़ी-बड़ी
पुस्तकों एवं ग्रंथों का ज्ञान भी छोटा पड़ जाता है।
सही बात है। पर ये कला आसान नहीं है । :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अंशुल
जवाब देंहटाएंMast GR8
जवाब देंहटाएंFrom
Jitendra s