आज के युग में संबंधों की गरिमा ताक पर
है। संबंध बनाना जितना सरल है, उतना ही कठिन है उसे निभाना क्योंकि आपसी संबंधों को मजबूती देने के
लिए ना केवल एक दूसरे को समझना जरूरी होता है बल्कि दूसरे व्यक्ति के अनुसार ढलना
भी होता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि व्यक्ति कितना समय किसी संबंध में देता है
बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह कितनी समझदारी और प्रेम के साथ उस संबंध को निभाता
है।
भावनाओं की शुद्धि एवं हृदय से तार
जोड़ना ही किसी संबंध की गहराई को मापने का तरीका है एवं यही संबंधों को निभाने का
आधार है। आज के इस आभासी और दिखावटी युग में संबंधों के आधार ही खोखले हैं जो
प्रारंभिक रूप से दिखावे पर आधारित है अतः यह जानना और समझना आवश्यक है की संबंधों
की गहराई हृदय से जुड़ी हैं ना कि बाह्य रूप और दिखावे से।
Bohat hi gehrai se vicharo ko vyakt kiya hai.
जवाब देंहटाएंBohat hi gehrai se vicharo ko vyakt kiya hai.
जवाब देंहटाएंBahut sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंयह आध्यात्म का विषय है, क्योंकि संबंधों की गहराई आत्मिक प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। आत्मिक समरुपता और प्रगाढ़ता संबंधों की गहराई को निर्धारित करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति वास्तव में संबंधों की अभिव्यक्ति आत्मिक भाव है ना कि दिखावा
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