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सोमवार, 23 नवंबर 2020

परिवार

परिवार- यह शब्द हम सब के लिए कितना महत्वपूर्ण है, कितना दिल के करीब है हम सब जानते हैं। उससे भी बढ़कर आप किसी अनाथ से पूछे कि परिवार क्या होता है तो जैसे या प्रश्न उसके लिए जिंदगी जैसा ही महत्वपूर्ण होगा। आज परिवार टूट रहे हैं, बिखर रहे हैं । इंसानों की संपन्नता तो बढ़ रही है लेकिन वह अंदर से खाली होता जा रहा है क्योंकि वास्तव में अंदर से भरा पूरा महसूस करने के लिए, साधनों की नहीं एक साथ की, अपनों की जरूरत होती है।

 आज के समय में दिखावा बढ़ता जा रहा है और अपने हितैषी पीछे छूटते जा रहे हैं। परिवार समाज का वह महत्वपूर्ण अंग है, वह धुरी है जिसके आसपास समाज की रचना होती है एवं उसमें मानवता सांस लेती है। परिवार को बचाना है तो सबसे पहले व्यक्ति से शुरुआत करनी होगी और वह पहला व्यक्ति खुद आप ही क्यों ना हो ?


 

स्व प्रेरणा

हर व्यक्ति के जीवन में एक प्रेरणा होती है - ऐसा कोई व्यक्ति जो आपके करीब हो या फिर आपके लिए एक आदर्श हो। यह प्रेरणा उस व्यक्ति को लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। पर क्या वास्तव में आपकी प्रेरणा बाहरी है? बहुत ध्यान से अगर आप इस प्रश्न के ऊपर सोचे और अवलोकन करें तो पाएंगे कि आप की प्रेरणा तो स्वयं आप ही हैं। पर कैसे?

 वह ऐसे कि कितने भी बाहरी प्रयत्न कर लिए जाएं आपको जगाने के लेकिन जिस क्षण आप उसे स्वीकार करते हैं एवं आगे बढ़ने का निर्णय लेते हैं उसी दिन आप उस प्रेरणा को ग्रहण करते हैं। तो वास्तव में आप स्व प्रेरित ही हुए ना। 


 

शनिवार, 21 नवंबर 2020

ज्ञान एक खज़ाना

हर ज्ञानी का पतन एक दिन उसके अहंकार के कारण ही हुआ है। इतिहास गवाह है कि जिसने अपने ज्ञान को संभाल कर नहीं रखा, उसे समय के साथ तराशा नहीं एवं उसके महत्व को नहीं जाना, उसे समय ने भुला दिया। जितने महान व्यक्तित्व इस दुनिया में हुए हैं उन सभी ने आजीवन एक विद्यार्थी बनकर अपने ज्ञान को नई ऊंचाई दी है।

ज्ञान की तलवार तब और भी धारदार एवं शक्तिशाली हो जाती है जब उसमें आजमाने और चुनौतियों का सामना करने का दम भर जाता है। अतः अपने आप को निरंतर चुनौती देते रहने से आपका ज्ञान कमल की तरह खिलकर चारों और अपना सौंदर्य बिखेरता है, इसे सदैव याद रखें।


 

समाधान

आज हर किसी के पास समस्याओं का भंडार है। ऐसा नहीं है कि पुराने समय में मानव सभ्यता के सामने समस्याएं नहीं होती थी किंतु आज समस्या के प्रति मानव का जो दृष्टिकोण है वह पहले नहीं होता था। अपनी आत्मिक शक्ति के बल पर मनुष्य में अनेकों समस्याओं का सामना किया है यह सच है। वास्तव में समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितना कि हमारा उसके प्रति दृष्टिकोण और उसके प्रति प्रतिक्रिया।

व्यक्तिगत स्तर पर बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं इसीलिए होती है क्योंकि किसी विशेष क्षण में मनुष्य समस्या से इतना व्याकुल हो जाता है कि वह उसपर ठंडे दिमाग से विचार कर उसके समाधान के प्रति सोच ही नहीं पाता। अधिकांश समस्याएं तभी हल हो सकती हैं जब हम उनके प्रति अपनी प्रतिक्रिया को बदलें। हम समस्या पर विचार करें ना कि उसके प्रति प्रतिक्रिया दें।


 

लगन की महिमा



 

लगन मतलब किसी कार्य को करने का दृढ़ निश्चय एवं उसमें अपने आत्मबल का स्पर्श। यह बात किसी को भी बताने की जरूरत नहीं कि जो भी महान सफल व्यक्ति इस दुनिया में हुए हैं उनमें लगन का अतिशय भंडार था। उनके  जीवन में मुसीबतों के अनेक पहाड़ टूटे, अनेक विषम परिस्थितियों का उन्हें सामना करना पड़ा किंतु वह अपने लक्ष्य से नहीं डिगे।

 हम सब यह जानते हैं किंतु कहीं ना कहीं हममें आत्मबल की कमी होती है जिससे हम अपने लक्ष्यों को छोड़ देते हैं या रास्ता ही बदल देते हैं पर जिसमें लगन हो वह हर तरह की मुसीबतों का सामना करने के बाद भी अपने लक्ष्य को नहीं भूलता और उसे पाकर ही रहता है। सच ही है सच्ची लगन मुसीबतों को देखती ही नहीं, केवल अपने लक्ष्य को देखती है।


गुरुवार, 19 नवंबर 2020

कुछ करने की प्रेरणा

अक्सर असफल होने पर अधिकांश व्यक्ति सही अवसरों के नहीं होने या उचित सुविधाओं के नहीं होने को कारणों में गिनाते हैं। यह कारण बहुत हद तक सही भी होते हैं किंतु देखा गया है कि विषम से विषम परिस्थितियों में विजय प्राप्त करने वाले अवसरों की प्रतीक्षा नहीं करते बल्कि अवसरों को उत्पन्न करते हैं। अपनी दक्षता के बल पर वे हर परिस्थिति को हराते हुए विजय पथ पर अग्रसर होते हैं। तो इससे यह बात सिद्ध हो जाती है कि केवल अवसर का ना होना कोई कारण नहीं वास्तव में हमारे अंदर प्रेरणा एवं आत्म बल की कमी ही असफलता के लिए जिम्मेदार है।

कई बार एक व्यक्ति बड़े जोश से बड़े उत्साह से कोई कार्य शुरू करता है किंतु अक्सर उसी बीच में अधूरा छोड़ देता है। यह हम में से अधिकांश लोगों की समस्या है। इसका मुख्य कारण है सतत प्रेरणा का ना होना एवं आत्म बल की कमी होना। अगर सही प्रेरणा और कुछ पाने की आग निरंतर बनी रहे तो सफलता निश्चित है।


 

आत्ममंथन

कहावत है आईना कभी झूठ नहीं बोलता और इसीलिए अधिकांश व्यक्ति स्वयं का स्वयं से सामना करने में झिझकते हैं,डरते हैं। वास्तव में दुनिया में सबसे कठिन कार्य खुद का सामना करना ही है। जो स्वयं का सामना कर सकता है, अपनी ही बुराइयों का शमन कर सकता है, वह जग जीत सकता है। अपनी कमजोरियों को जीतना मतलब जग को जीतने की तैयारी करना।

अधिकांश व्यक्ति इससे अनभिज्ञ रहते हैं एवं जीवन भर भी दूसरों की बुराई और दुर्गुणों को देखने में बिताते हैं। तो आज से आत्ममंथन को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मानकर उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें फिर देखें अपने में बदलाव।


 

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...