आज हर किसी के पास समस्याओं का भंडार
है। ऐसा नहीं है कि पुराने समय में मानव सभ्यता के सामने समस्याएं नहीं होती थी
किंतु आज समस्या के प्रति मानव का जो दृष्टिकोण है वह पहले नहीं होता था। अपनी
आत्मिक शक्ति के बल पर मनुष्य में अनेकों समस्याओं का सामना किया है यह सच है। वास्तव
में समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितना कि हमारा उसके प्रति दृष्टिकोण और उसके
प्रति प्रतिक्रिया।
व्यक्तिगत स्तर पर बड़ी-बड़ी
दुर्घटनाएं इसीलिए होती है क्योंकि किसी विशेष क्षण में मनुष्य समस्या से इतना
व्याकुल हो जाता है कि वह उसपर ठंडे दिमाग से विचार कर उसके समाधान के प्रति सोच
ही नहीं पाता। अधिकांश समस्याएं तभी हल हो सकती हैं जब हम उनके प्रति अपनी
प्रतिक्रिया को बदलें। हम समस्या पर विचार करें ना कि उसके प्रति प्रतिक्रिया दें।
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