सम्मान उस निवेश की तरह है जो हमें वैसे ही वापस मिलता है जैसे हमने दूसरों को दिया था। जितना सम्मान अथवा अपमान हम दूसरों का करते हैं वह सारे का सारा ब्याज सहित हमें वापस मिल जाता है।यह वह ऊर्जा है जो देने पर कई गुना होकर हम तक वापस आती है। बिना दूसरों को आदर अथवा सम्मान दिए हम उनके हृदय में भी स्थान नहीं बना सकते।
बहुत से ऊंचाइयों पर पहुंचे हुए बड़े व्यक्ति अहंकारवश अपने नीचे काम करने वाले लोगों को तुच्छ समझते हैं एवं अहंकार के वश होकर उन्हें कभी सम्मान नहीं देते। किंतु वह भूल जाते हैं कि जो ऊर्जा उन्होंने उन्हें स्थानांतरित की वही समय के साथ उसी रूप में वापस उन तक आती है। यह विनिमय प्रकृति का नियम है। तो अगर सबके हृदय में विराजना है तो सम्मान लेने के पहले देना सीखना होगा।
अत्यंत मधुर विचार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंSunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंअति उतम ����
जवाब देंहटाएंBahut hi sunder vichar hai ati sunder
जवाब देंहटाएंBilkul sahi vichaar hai...
जवाब देंहटाएंअदभुत।। सुन्दर रचना दीदी
जवाब देंहटाएंBhut sundar .ye pratibimb ki tarah hi jo humare sath chalta hai chahe Achha ho ya bura.
जवाब देंहटाएंBahut sunder vichar
जवाब देंहटाएं