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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

सम्मान

सम्मान उस निवेश की तरह है जो हमें वैसे ही वापस मिलता है जैसे हमने दूसरों को दिया था। जितना सम्मान अथवा अपमान हम दूसरों का करते हैं वह सारे का सारा ब्याज सहित हमें वापस मिल जाता है।यह वह ऊर्जा है जो देने पर कई गुना होकर हम तक वापस आती है। बिना दूसरों को आदर अथवा सम्मान दिए हम उनके हृदय में भी स्थान नहीं बना सकते। 
बहुत से ऊंचाइयों पर पहुंचे हुए बड़े व्यक्ति अहंकारवश अपने नीचे काम करने वाले लोगों को तुच्छ समझते हैं एवं अहंकार  के वश होकर उन्हें कभी सम्मान नहीं देते। किंतु वह भूल जाते हैं कि जो ऊर्जा उन्होंने उन्हें स्थानांतरित की वही समय के साथ उसी रूप में वापस उन तक आती है। यह विनिमय प्रकृति का नियम है। तो अगर सबके हृदय में विराजना है तो सम्मान लेने के पहले देना सीखना होगा।
 

10 टिप्‍पणियां:

  1. अदभुत।। सुन्दर रचना दीदी

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  2. Bhut sundar .ye pratibimb ki tarah hi jo humare sath chalta hai chahe Achha ho ya bura.

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