किसी भी व्यक्ति का बड़प्पन उसके चरित्र और उसके गुणों से झलकता है ना कि उसके पद अथवा नाम से। अधिकांशतः इस संसार में लोग अपने पद और प्रतिष्ठा के बल पर अपने अधीन व्यक्तियों को दबाते हैं एवं अपना महत्व दर्शाते हैं किंतु एक बात याद रखना है कि ऐसा प्रभुत्व बहुत लंबा नहीं चलता। दबाव में आकर शायद उस समय तो वह व्यक्ति आप का प्रभुत्व स्वीकार कर ले किंतु आप उसके हृदय में कभी स्थान नहीं बना पाएंगे।
इतिहास गवाह है कि वही व्यक्ति महापुरुष कहलाए जिन्होंने अपने पद एवं प्रतिष्ठा के बल पर नहीं बल्कि अपने आचरण से लोगों को मजबूर किया कि वह स्वयं ही उनका गुणगान करें।अगर बड़ा बनना ही है तो क्यों ना गुणों की खान बने जिससे स्वयं ही लोग आपके आगे नतमस्तक हो और आपकी बड़प्पन को नमस्कार करें।
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