एक प्रसिद्ध कहावत है जब जागो तभी सवेरा। हमारे जीवन में रोज सूर्योदय होता है एवं दिन ढलने के साथ सूर्यास्त भी। हर नया सवेरा नई उम्मीदों की किरणों को लेकर आता है एवं हर डूबता हुआ दिन आशा निराशा के झूले में झूल आता हुआ हमें नींद की ओर ले जाता है। सही सकारात्मकता एवं निश्चय बनाए रखते हुए हमें सबसे अधिक आत्म विश्लेषण की आवश्यकता है।
वास्तव में वही सच्चा मालिक है जिसने जग नहीं अपने आप को जीत लिया है क्योंकि व्यक्ति यदि किसी से हारता है तो वहां किसी और नहीं स्वयं से है। वह अपने ही दुर्गुणों और कमजोरियों पर काबू नहीं पा पाता और जीवन में पिछड़ता ही जाता है अतः जिस दिन हमने आत्म सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया वही सच्चा सवेरा है।
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