लोकप्रिय पोस्ट

शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

आत्म सुधार

एक प्रसिद्ध कहावत है जब जागो तभी सवेरा। हमारे जीवन में रोज सूर्योदय होता है एवं दिन ढलने के साथ सूर्यास्त भी। हर नया सवेरा नई उम्मीदों की किरणों को लेकर आता है एवं हर डूबता हुआ दिन आशा निराशा के झूले में झूल आता हुआ हमें नींद की ओर ले जाता है। सही सकारात्मकता एवं निश्चय बनाए रखते हुए हमें सबसे अधिक आत्म विश्लेषण की आवश्यकता है।
 वास्तव में वही सच्चा मालिक है जिसने जग नहीं अपने आप को जीत लिया है क्योंकि व्यक्ति यदि किसी से हारता है तो वहां किसी और नहीं स्वयं से है। वह अपने ही दुर्गुणों और कमजोरियों पर काबू नहीं पा पाता और जीवन में पिछड़ता ही जाता है अतः जिस दिन हमने आत्म सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया वही सच्चा सवेरा है।

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...