अधिकांश
मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ हमारे मन के अंदर होती है। जब भी किसी मानसिक रूप से
परेशान व्यक्ति को देखते हैं तो यहां यह पाते हैं कि उसकी समस्याओं की जड़ तो उसके
अंदर ही है। आज का युग मानसिक समस्याओं का युग है और आज के युग की सबसे बड़ी
बीमारी है अवसाद, तनाव क्योंकि आज इंसान अकेला है एवं साधन संपन्न होते हुए भी अपने
अहम के कारण एक घर में रहते हुए भी अपनों से कटा हुआ है।
समस्याओं का प्रकार इस बात पर भी निर्भर करता है
कि हमारा स्वयं से संवाद कैसा है। आज अगर कुछ बिगड़ा हुआ है तो वह हमारा स्वयं से
संवाद ही है। हम स्वयं से किस भाषा में बात करते हैं उससे हमारेे पूरेे व्यक्तित्व
का निर्माण होता है और उसी से हमारे रिश्तो का भी बनना बिगड़ना होता है। अगर एक
सकारात्मक पहल करनी है तो सबसे पहले रोज स्वयं से सकारात्मक संवाद करने की आदत
डालनी होगी।
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