यह ब्लॉग अंतर्मन के मंथन से निकले हुए सुंदर विचारों का एक गुलदस्ता है जो सीधे हमारे हृदय को स्पर्श करते हैं और निरंतर अच्छा करने की प्रेरणा देते हैं|
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सुविचार,शुभ संकल्प,श्रेष्ठ विचार आदि नामों से हम परिचित हैं और कदाचित उसकी शक्ति से भी। अपने माता पिता एवं गुरुजनों से एवं बड़े बूढ़ों से हम...
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हमारे जीवन का अधिकतर समय दूसरों के साथ संपर्क साधने में एवं उनसे लोक व्यवहार करने में जाता है। दिनभर की गतिविधियों में भी हम अधिक से अधिक सम...
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आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...
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आज हर इंसान जीवन में खुशी चाहता है और इस खुशी की खोज में वह तरह-तरह के तरीके अपनाता है। चाहे वह सैर सपाटा हो,अच्छा भोजन हो, अच्छा पहनावा हो ...
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अच्छे विचारों का महत्व कौन नहीं जानता ? विचार अगर अच्छे हो तो एक व्यक्ति से लेकर वह समाज एवं राष्ट्र का नक्शा ही बदल देते हैं , इतनी ताकत ...
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अनेकों व्यक्तियों का स्वभाव बड़ा ही व्यंग्यात्मक होता है। वह किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करते और सदा ही तंज कसते कसते रहते हैं। ऐसे व्यक्त...
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आज पूरी दुनिया अगर किसी चीज से सबसे ज्यादा आतंकित है तो वह है रिश्तो की उलझन, संस्कारों का टकराव। आज लोगों के पास सुख साधन तो है ,धन भी भर...
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कहते हैं शब्दों की गरिमा रखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। शब्दों की शक्ति का एहसास बहुत कम लोगों को होता है। कुछ उन्ही शब्दों से अपने जी...
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बड़ी विचित्र बात है क्या आपने कभी यह सोचा है कि जब आप किसी से मिल रहे होते हैं तो इससे आपका चरित्र भी प्रगट होता है। वास्तव में हमारे तौर ...
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हमारी जीभ को ईश्वर से एक अद्भुत वरदान मिला है- वाणी का। वाणी की शक्ति अपने आप में ऐसी अनुपम शक्ति है जिसकी ऊर्जा से समय-समय पर पूरा संसार आं...
रविवार, 20 सितंबर 2020
वाणी की शक्ति
संकल्प की ऊर्जा
बड़प्पन की गरिमा
शुक्रवार, 18 सितंबर 2020
संकल्प - जीवन का आधार
सम्मान
प्रशंसा की शक्ति
प्रशंसा एक दो धारी तलवार की तरह होती है। इसका स्वाद जो ना चखे वह उसके लिए तरसता है किंतु जो उसे चख लेता है वह अति उत्साहित होकर खुशी में आत्ममुग्ध सा हो जाता है। पुरानी कहावतो में कहा भी गया है कि अपने निंदक को हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि वह हमें सदा अपनी बुराइयों से परिचित कराता रहता है एवं आत्ममुग्ध होने से बचाता है।
बड़े-बड़े महात्मा और महापुरुष भी काल के चक्र में पड़कर किसी समय विशेष पर प्रशंसा पाकर अभिमानी हो गए और अपने गुणों की तिलांजलि दे दी।प्रशंसा पाकर अक्सर बड़े-बड़े प्रभावशाली व्यक्तित्व के महापुरुष भी चाटूकारों के प्रभाव में आ जाते हैं एवं सच्चे मित्रों को खो देते हैं| अतः यह सत्य है कि प्रशंसा पाने में तो बड़ी अच्छी लगती है किंतु उसका भार उठाना अच्छे अच्छों को भारी पड़ता है।
गुरुवार, 17 सितंबर 2020
लक्ष्य की महानता
सोमवार, 14 सितंबर 2020
संकल्प की शक्ति
ख़ुशी की खुराक
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