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रविवार, 25 अक्टूबर 2020

आत्मसुधार

बात है बड़ी छोटी किंतु बहुत ही महत्वपूर्ण जो वास्तव में हम जानते ही नहीं। जितना अधिक हम लोगों के अवगुणों को देखते हैं उनमें खामियां निकालते हैं धीरे धीरे वह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं। कोई भी इस बात पर आपत्ति कर सकता है कि ऐसा कैसे हो सकता है किंतु है यह सत्य। कहते हैं हमारे आसपास की सृष्टि हमारे संकल्प और विचारों से ही बनती है।

यदि हम दिन भर व्यर्थ विचारों में गोता लगाते रहेंगे एवं हर ओर खामियां ही देखते रहेंगे तो यह हमारी दृष्टि ही बन जाएगी। एक बार आदत में शामिल होने पर धीरे धीरे यह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं और हमें पता ही नहीं चलता। अतः दूसरे के अवगुणों को धारण ना करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है उनके अवगुणों को ना देखना।


 

शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

शब्द शक्ति

कहते हैं शब्दों की गरिमा रखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। शब्दों की शक्ति का एहसास बहुत कम लोगों को होता है। कुछ उन्ही शब्दों से अपने जीवन में सब कुछ नष्ट कर लेते हैं और कुछ उन शब्दों के जादू से लोगों को मोहित कर लेते हैं किंतु अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि शब्द भी सीमित और शक्तिशाली होने चाहिए। जिन्हें अपनी शक्ति प्रिय होती है वह बहुत सोच समझकर गंभीरता से बोलते हैं अतः उनके शब्दों में गहराई एवं अर्थ होता है।

जो यूं ही बोलते रहते हैं वे अपनी संकल्प शक्ति को व्यर्थ गँवाते हैं और इसी कारण उनके शब्दों में भी प्रभाव नहीं रह जाता अतः उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता। अतः कम बोले लेकिन अर्थपूर्ण और गहराई लिए हुए बोले तब देखें कैसे आपके शब्द फलित होते हैं।


 

सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

आत्मबल

आपका आत्मबल वह अनोखा गुण है जो परमात्मा ने एक रत्न की तरह तराशकर हर व्यक्ति में डाला है। विषम परिस्थितियों में जब हर ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है तब कहीं से उम्मीद की एक रोशनी का साक्षात्कार होता है जो कहीं और से नहीं हमारे अंदर से ही अवतरित होती है। आत्मिक साहस वह महान गुण हैं जिसे परमात्मा ने सभी में पूरे मन से भरा है।

ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब असंभव की दिखती हुई परिस्थितियों में कई अनोखे कार्य हुए हैं जो और किसी बल पर नहीं बल्कि आत्म बल के भरोसे हुए हैं । वास्तव में वही बलवान है जिसने आत्मबल का महान भंडार अपने अंदर सुरक्षित रखा है। यह वह धन है जो आपसे कोई चोर नहीं चोरी कर सकता ना कोई आपसे छीन सकता है। इसे बनाए रखें, यही हर स्थिति में आपका परम मित्र है।



 

मुस्कान

मुस्कान वास्तव में ऐसा गुण है जो जीवित प्राणियों में भगवान ने केवल मनुष्य में ही डाला है। जब मन उदास हो, हताश हो और हारा हुआ महसूस करता हो तब एक नन्हे बच्चे की अबोध मुस्कान या एक पालतू की सुंदर अठखेलियां मन को शांति और हर्ष से भर देती हैं। मुस्कान देने में एक पैसा भी खर्च नहीं होता किंतु यह सभी में ऊर्जा का संचार कर देती है। एक अबोध मुस्कान जीवन जीने की इच्छा बढ़ा देती है। अतः सदा मुस्कुराए, इसे खर्च करने में कंजूसी ना करें।

आपकी मुस्कान दूसरों में ही नहीं स्वयं आप में भी सकारात्मक परिवर्तन कर देती है जिससे आप मानसिक एवं शारीरिक रूप से बहुत हल्का और खुशनुमा महसूस करते हैं। तो सदा मुस्कुराइए और परमात्मा के दिए हुए इस अकूत खजाने को बांटिये। 


 

शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

आत्म सुधार

एक प्रसिद्ध कहावत है जब जागो तभी सवेरा। हमारे जीवन में रोज सूर्योदय होता है एवं दिन ढलने के साथ सूर्यास्त भी। हर नया सवेरा नई उम्मीदों की किरणों को लेकर आता है एवं हर डूबता हुआ दिन आशा निराशा के झूले में झूल आता हुआ हमें नींद की ओर ले जाता है। सही सकारात्मकता एवं निश्चय बनाए रखते हुए हमें सबसे अधिक आत्म विश्लेषण की आवश्यकता है।
 वास्तव में वही सच्चा मालिक है जिसने जग नहीं अपने आप को जीत लिया है क्योंकि व्यक्ति यदि किसी से हारता है तो वहां किसी और नहीं स्वयं से है। वह अपने ही दुर्गुणों और कमजोरियों पर काबू नहीं पा पाता और जीवन में पिछड़ता ही जाता है अतः जिस दिन हमने आत्म सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया वही सच्चा सवेरा है।

 

आत्मबल

किसी भी कार्य में श्रेय लूटना जैसे आज इस युग की परिपाटी सी है। जितना ध्यान व्यक्ति कार्य की उत्कृष्टता पर नहीं देता उतना वह इस पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे वह उस कार्य का श्रेय लूट सके। जिससे वह व्यक्ति सबसे अधिक निराश होता है जिसने वास्तव में उस कार्य को अंजाम दिया है किंतु दूसरों के द्वारा उसका श्रेय ले लेने से उसकी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन कम होता है।

ऐसा भी समय आता है जब एक उत्कृष्ट कार्य करने वाला व्यक्ति भी हताशा के वश होकर कार्य करना ही छोड़ देता है किंतु अपने आप पर भरोसा रखना और अपना कार्य जारी रखना इस मुश्किल क्षण में सबसे बड़ी परीक्षा है। ऐसे समय में जिसने अपने आत्मबल की शक्ति को बनाए रखा वह जग जीत सकता है।


 

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

व्यवहार कुशलता


 अक्सर संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है एक दूसरे को गहराई से समझना एवं भावनात्मक संबल देना। सबसे शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति भी भावनात्मक स्तर पर यदि अपने आप को भरा पूरा महसूस नहीं करता है तो यह आंतरिक खालीपन उसको आत्मिक रूप से शक्तिशाली नहीं बनने देता। वास्तव में हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि भले वह प्रगट ना करें किंतु कोई उसे अंदर से समझे एवं उसकी भावनाओं को पोषित करें।

लोगों को पढ़ना भी एक कला है किंतु इस कला का उपयोग केवल किसी निष्कर्ष निकालने के लिए नहीं बल्कि उन्हें अंदर से शक्ति एवं साहस देने के लिए होना चाहिए। आत्मबल को बढ़ाने वाला तो इस युग में सबसे बड़ा मित्र है। लोगों को पढ़ना अगर एक कला है तो यह कला लंबे काल के अभ्यास के बाद विकसित होती है। इस ज्ञान के आगे बड़ी-बड़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों का ज्ञान भी छोटा पड़ जाता है।

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...