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रविवार, 25 अक्टूबर 2020

आत्मसुधार

बात है बड़ी छोटी किंतु बहुत ही महत्वपूर्ण जो वास्तव में हम जानते ही नहीं। जितना अधिक हम लोगों के अवगुणों को देखते हैं उनमें खामियां निकालते हैं धीरे धीरे वह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं। कोई भी इस बात पर आपत्ति कर सकता है कि ऐसा कैसे हो सकता है किंतु है यह सत्य। कहते हैं हमारे आसपास की सृष्टि हमारे संकल्प और विचारों से ही बनती है।

यदि हम दिन भर व्यर्थ विचारों में गोता लगाते रहेंगे एवं हर ओर खामियां ही देखते रहेंगे तो यह हमारी दृष्टि ही बन जाएगी। एक बार आदत में शामिल होने पर धीरे धीरे यह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं और हमें पता ही नहीं चलता। अतः दूसरे के अवगुणों को धारण ना करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है उनके अवगुणों को ना देखना।


 

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