आज रिश्तो की नींव हिली हुई है, इंसान अकेला
है। संयुक्त परिवार टूट गए हैं और जो एकल परिवार भी हैं उनमें भी सामंजस्य नहीं
है। परिवार के सदस्यों में प्रेम की भावना कम होती जा रही है क्योंकि कहीं ना कहीं
शुरुआत ही गलत है। अगर ध्यान से विश्लेषण किया जाए तो यह देखने में आता है कि
वास्तव में इंसान स्वयं से ही परेशान है। उसका स्वयं से ही रिश्ता अच्छा नहीं है
इसलिए वह दूसरों से भी एक स्वस्थ और गहरा रिश्ता बना पाने में सक्षम नहीं है इसलिए
यह मान सकते हैं कि शुरुआत स्वयं से ही होती है।
स्वयं को समझना रिश्तो को निभाने की
पहली सीढ़ी है। देखने में आता है कि जो स्वयं के साथ एक सुंदर रिश्ता रखते हैं
हमें दूसरों के साथ भी बड़ी सरलता से जुड़ जाते हैं। तो पहले खुद से दोस्ती कीजिए
फिर देखिए रिश्ते कैसे सुंदर बनते हैं।
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