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मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

चरित्र निर्माण

 बड़ी विचित्र बात है क्या आपने कभी यह सोचा है कि जब आप किसी से मिल रहे होते हैं तो इससे आपका चरित्र भी प्रगट होता है। वास्तव में हमारे तौर तरीके, हमारा व्यवहार और दूसरों से हमारा मिलने का तरीका हमारे चारित्रिक गुणों और आदतों को ही प्रकट करता है। कितनी गहरी बात है यह किंतु बहुत कम लोग से समझते हैं।

एक पारखी पहली बार में ही व्यक्ति के मिलने के तरीके से उसके चरित्र का बहुत कुछ अनुमान लगा लेता है। चाहे आप कितना ही क्यों ना छुपाए आपका मूल चरित्र आपके व्यवहार से परिलक्षित हो ही जाता है। तो आगे से जब आप किसी से मिले तो ना केवल उसे पारखी नजरों से देखें बल्कि गहराई से अपने व्यवहार पर भी नजर डालें कि वह आप के किन गुणों को प्रकट कर रहा है। 


 

प्रेम एक झलक

प्रेम के ऊपर जितना भी लिखा जाए वह कम है। बड़े बड़े महान कवियों की कलम से प्यार की बड़ी-बड़ी बातें लिखी गई हैं कुछ कविताओं के माध्यम से तो कुछ कहानियों के। प्रेम सदियों से चर्चा का विषय रहा है किंतु सच्चा प्रेम वह है जो स्वार्थ रहित हो । स्वार्थ रहित प्रेम में स्वीकार्यता बहुत अधिक होती है एवं वह सामने वाले व्यक्ति को कमजोर बनाने की वजह और भी ताकतवर बनाता है।

 प्रेम की शक्ति अनंत है। सच्चा प्रेम बुझे हुए मन में भी आशा के दीपक जलाता है और एक प्यासे के लिए वह किसी जल की धारा की समान शीतल एवं तृप्त करने वाला होता है। सदा ध्यान रहे प्रेम कभी भी आपको कमजोर नहीं बल्कि शक्तिशाली एवं आत्म बल से संपन्न बनाता है।


 

आचरण का महत्व

अनेकों व्यक्तियों का स्वभाव बड़ा ही व्यंग्यात्मक होता है। वह किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करते और सदा ही तंज कसते कसते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के साथ कोई भी अच्छा और आरामदायक महसूस नहीं करता। वास्तव में जो व्यक्ति व्यंग करते रहते हैं उनमें आत्म बल की कमी होती है। वह स्वयं तो कुछ कर नहीं पाते अतः अपनी इस कमी को वह व्यंग करके पूरा करते हैं।

यह उनकी चारित्रिक कमजोरी को भी प्रकट करता है। वास्तव में जो आत्मबल से संपन्न एवं मानसिक रूप से शक्तिशाली है उन्हें कभी भी व्यर्थ बोलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। उनकी संकल्प शक्ति से ही सारे कार्य संपन्न हो जाते हैं।


 

रविवार, 25 अक्टूबर 2020

सुनने की कला

जैसे बोलने की कला अपने आप में एक महत्वपूर्ण कला है वैसे ही एक अच्छा श्रोता बनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अधिकतर लोग इससे अनभिज्ञ रहते हैं कि अच्छे रिश्ते की नींव एक अच्छा श्रोता बनना होता है। जितना अधिक हम दूसरों को ध्यान से और गहराई पूर्वक सुनते हैं उतना ही हमारा रिश्तो में अनुभव बढ़ता जाता है एवं हम लोगों को समझ पाते हैं। इससे हमारी परखने की शक्ति भी मजबूत होती है जिससे भविष्य में भी हम अपने रिश्तो की नींव को कमजोर नहीं होने देते। 
अधिकतर लोग इसको ना समझते हुए केवल इसलिए सुनते हैं कि उन्हें सुनी हुई बात का जवाब देना है। वास्तव में हर मनुष्य में इस बात की भूख है कि कोई उसे सुनी एवं समझे। यदि हम लोगों को सुनना सीख गए तो रिश्तो की उलझन में हम आधा तो जीत ही जाते हैं।

 

आत्मसुधार

बात है बड़ी छोटी किंतु बहुत ही महत्वपूर्ण जो वास्तव में हम जानते ही नहीं। जितना अधिक हम लोगों के अवगुणों को देखते हैं उनमें खामियां निकालते हैं धीरे धीरे वह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं। कोई भी इस बात पर आपत्ति कर सकता है कि ऐसा कैसे हो सकता है किंतु है यह सत्य। कहते हैं हमारे आसपास की सृष्टि हमारे संकल्प और विचारों से ही बनती है।

यदि हम दिन भर व्यर्थ विचारों में गोता लगाते रहेंगे एवं हर ओर खामियां ही देखते रहेंगे तो यह हमारी दृष्टि ही बन जाएगी। एक बार आदत में शामिल होने पर धीरे धीरे यह अवगुण हमारे में भी प्रवेश कर जाते हैं और हमें पता ही नहीं चलता। अतः दूसरे के अवगुणों को धारण ना करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है उनके अवगुणों को ना देखना।


 

शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

शब्द शक्ति

कहते हैं शब्दों की गरिमा रखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। शब्दों की शक्ति का एहसास बहुत कम लोगों को होता है। कुछ उन्ही शब्दों से अपने जीवन में सब कुछ नष्ट कर लेते हैं और कुछ उन शब्दों के जादू से लोगों को मोहित कर लेते हैं किंतु अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि शब्द भी सीमित और शक्तिशाली होने चाहिए। जिन्हें अपनी शक्ति प्रिय होती है वह बहुत सोच समझकर गंभीरता से बोलते हैं अतः उनके शब्दों में गहराई एवं अर्थ होता है।

जो यूं ही बोलते रहते हैं वे अपनी संकल्प शक्ति को व्यर्थ गँवाते हैं और इसी कारण उनके शब्दों में भी प्रभाव नहीं रह जाता अतः उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता। अतः कम बोले लेकिन अर्थपूर्ण और गहराई लिए हुए बोले तब देखें कैसे आपके शब्द फलित होते हैं।


 

सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

आत्मबल

आपका आत्मबल वह अनोखा गुण है जो परमात्मा ने एक रत्न की तरह तराशकर हर व्यक्ति में डाला है। विषम परिस्थितियों में जब हर ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है तब कहीं से उम्मीद की एक रोशनी का साक्षात्कार होता है जो कहीं और से नहीं हमारे अंदर से ही अवतरित होती है। आत्मिक साहस वह महान गुण हैं जिसे परमात्मा ने सभी में पूरे मन से भरा है।

ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब असंभव की दिखती हुई परिस्थितियों में कई अनोखे कार्य हुए हैं जो और किसी बल पर नहीं बल्कि आत्म बल के भरोसे हुए हैं । वास्तव में वही बलवान है जिसने आत्मबल का महान भंडार अपने अंदर सुरक्षित रखा है। यह वह धन है जो आपसे कोई चोर नहीं चोरी कर सकता ना कोई आपसे छीन सकता है। इसे बनाए रखें, यही हर स्थिति में आपका परम मित्र है।



 

मुस्कान

मुस्कान वास्तव में ऐसा गुण है जो जीवित प्राणियों में भगवान ने केवल मनुष्य में ही डाला है। जब मन उदास हो, हताश हो और हारा हुआ महसूस करता हो तब एक नन्हे बच्चे की अबोध मुस्कान या एक पालतू की सुंदर अठखेलियां मन को शांति और हर्ष से भर देती हैं। मुस्कान देने में एक पैसा भी खर्च नहीं होता किंतु यह सभी में ऊर्जा का संचार कर देती है। एक अबोध मुस्कान जीवन जीने की इच्छा बढ़ा देती है। अतः सदा मुस्कुराए, इसे खर्च करने में कंजूसी ना करें।

आपकी मुस्कान दूसरों में ही नहीं स्वयं आप में भी सकारात्मक परिवर्तन कर देती है जिससे आप मानसिक एवं शारीरिक रूप से बहुत हल्का और खुशनुमा महसूस करते हैं। तो सदा मुस्कुराइए और परमात्मा के दिए हुए इस अकूत खजाने को बांटिये। 


 

शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

आत्म सुधार

एक प्रसिद्ध कहावत है जब जागो तभी सवेरा। हमारे जीवन में रोज सूर्योदय होता है एवं दिन ढलने के साथ सूर्यास्त भी। हर नया सवेरा नई उम्मीदों की किरणों को लेकर आता है एवं हर डूबता हुआ दिन आशा निराशा के झूले में झूल आता हुआ हमें नींद की ओर ले जाता है। सही सकारात्मकता एवं निश्चय बनाए रखते हुए हमें सबसे अधिक आत्म विश्लेषण की आवश्यकता है।
 वास्तव में वही सच्चा मालिक है जिसने जग नहीं अपने आप को जीत लिया है क्योंकि व्यक्ति यदि किसी से हारता है तो वहां किसी और नहीं स्वयं से है। वह अपने ही दुर्गुणों और कमजोरियों पर काबू नहीं पा पाता और जीवन में पिछड़ता ही जाता है अतः जिस दिन हमने आत्म सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया वही सच्चा सवेरा है।

 

आत्मबल

किसी भी कार्य में श्रेय लूटना जैसे आज इस युग की परिपाटी सी है। जितना ध्यान व्यक्ति कार्य की उत्कृष्टता पर नहीं देता उतना वह इस पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे वह उस कार्य का श्रेय लूट सके। जिससे वह व्यक्ति सबसे अधिक निराश होता है जिसने वास्तव में उस कार्य को अंजाम दिया है किंतु दूसरों के द्वारा उसका श्रेय ले लेने से उसकी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन कम होता है।

ऐसा भी समय आता है जब एक उत्कृष्ट कार्य करने वाला व्यक्ति भी हताशा के वश होकर कार्य करना ही छोड़ देता है किंतु अपने आप पर भरोसा रखना और अपना कार्य जारी रखना इस मुश्किल क्षण में सबसे बड़ी परीक्षा है। ऐसे समय में जिसने अपने आत्मबल की शक्ति को बनाए रखा वह जग जीत सकता है।


 

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

व्यवहार कुशलता


 अक्सर संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है एक दूसरे को गहराई से समझना एवं भावनात्मक संबल देना। सबसे शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति भी भावनात्मक स्तर पर यदि अपने आप को भरा पूरा महसूस नहीं करता है तो यह आंतरिक खालीपन उसको आत्मिक रूप से शक्तिशाली नहीं बनने देता। वास्तव में हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि भले वह प्रगट ना करें किंतु कोई उसे अंदर से समझे एवं उसकी भावनाओं को पोषित करें।

लोगों को पढ़ना भी एक कला है किंतु इस कला का उपयोग केवल किसी निष्कर्ष निकालने के लिए नहीं बल्कि उन्हें अंदर से शक्ति एवं साहस देने के लिए होना चाहिए। आत्मबल को बढ़ाने वाला तो इस युग में सबसे बड़ा मित्र है। लोगों को पढ़ना अगर एक कला है तो यह कला लंबे काल के अभ्यास के बाद विकसित होती है। इस ज्ञान के आगे बड़ी-बड़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों का ज्ञान भी छोटा पड़ जाता है।

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

साहस

आज के इस तनाव भरे समय में हर कोई अपना आत्म बल जैसे खोने लगा है एवं मानसिक शांति के लिए भटक रहा है। आज व्यक्ति के पास धन – संपदा, पद ,प्रतिष्ठा सभी कुछ है और आज से अधिक विलासिता एवं वैभव पहले मनुष्य के पास नहीं था। साधनों की कोई कमी नहीं होते हुए भी आज मनुष्य सबसे अधिक खाली हैं, अंतर्मन से हारा हुआ है अतः ऐसे समय में उस व्यक्ति का मूल्य तो सबसे अधिक हो जाता है जो मानव के मन में साहस एवं आत्मबल का संचार करें।

वास्तव में मानव के हृदय में सकारात्मकता का प्रकाश फैलाना एवं मन से हारे हुए व्यक्ति को उठ के खड़े होने के लिए प्रेरित करना सबसे बड़ा महान कार्य है। आज व्यक्ति को भौतिक साधनों से अधिक मानसिक शक्ति एवं आत्मबल की आवश्यकता है। जो यह कर सके वह परमात्मा का सच्चा बच्चा है।



 

सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

शब्द शक्ति

क्या आपको स्मरण है की शब्द भी एक शक्ति है और उसकी ऊर्जा को बचाना भी उतना ही जरूरी है। अक्सर यह देखा गया है कि अधिक एवं व्यर्थ बोलने वालों को कोई भी सुनना पसंद नहीं करता एवं बातचीत में उनकी वक्तव्य की गरिमा भी कोई नहीं रखता। उनकी वाणी का वास्तव में कोई मोल नहीं होता। दूसरी ओर जो व्यक्ति कम किंतु सधे हुए शब्दों में अपनी बात को रखता है उसकी बात का ना केवल मूल्य होता है बल्कि सभी उसका समुचित सम्मान भी करते हैं।

 कहने का तात्पर्य यह है कि अधिक बोलने या ऊंचा बोलने से आपकी बात की गरिमा एवं गहराई कम ही होती है ना की बढ़ती है अतः कम से कम शब्दों में किंतु तार्किक रूप से जब हम अपनी बात को प्रस्तुत करते हैं तो उसका वजन बढ़ जाता है। तो आगे से हमें अपनी बात को सधे हुए शब्दों में रखने के लिए सबसे पहले अपनी शब्दावली को सुधारना होगा।


 

रविवार, 11 अक्टूबर 2020

सम्बंध की गहराई

आज के युग में संबंधों की गरिमा ताक पर है। संबंध बनाना जितना सरल है, उतना ही कठिन है उसे निभाना क्योंकि आपसी संबंधों को मजबूती देने के लिए ना केवल एक दूसरे को समझना जरूरी होता है बल्कि दूसरे व्यक्ति के अनुसार ढलना भी होता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि व्यक्ति कितना समय किसी संबंध में देता है बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह कितनी समझदारी और प्रेम के साथ उस संबंध को निभाता है।

भावनाओं की शुद्धि एवं हृदय से तार जोड़ना ही किसी संबंध की गहराई को मापने का तरीका है एवं यही संबंधों को निभाने का आधार है। आज के इस आभासी और दिखावटी युग में संबंधों के आधार ही खोखले हैं जो प्रारंभिक रूप से दिखावे पर आधारित है अतः यह जानना और समझना आवश्यक है की संबंधों की गहराई हृदय से जुड़ी हैं ना कि बाह्य रूप और दिखावे से।


 

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

मीठे बोलो का महत्व

मीठे बोल का महत्व कौन नहीं जानता ? बिगड़ते हुए कार्य प्रेम मिश्रित बोलो से बन जाते हैं, परिवार में पड़ी दरारें भावना के साथ बोले गए मीठे वचनों से पट जाती है। जो इनके महत्व को नहीं जानते वह शायद इन्हें बड़ा छोटा समझते हैं। जिन्हें प्रेम की बोली बोलना नहीं आता एवं सदा अधिकारपूर्वक हठ से कार्य कराना जानते हैं वह यही सोचते हैं कि इन मीठे बोलो का आखिर क्या महत्व ? किंतु अधिकार से व्यक्ति अपनों को खोता है एवं प्रेम से जीतता है।

अतः लंबे समय में जब प्रेम के बोल का प्रभाव देखने में आता है तो यही महसूस होता है कि इनका दायरा वास्तव में बहुत बड़ा है और इनकी गूंज अत्यधिक प्रभावी|  तो यदि अपनी जीवन और अपने आसपास के वातावरण में कोई स्थाई परिवर्तन देखना हो तो मीठी वाणी के चमत्कारों को खुद आजमा कर देखें।


 

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

मानवीय साहस

जब भी साहस के धनी एवं अभूतपूर्व कार्य करने वालों की चर्चा होती है तो उन लोगों का नाम जबान पर आता है जिन्होंने मुश्किलों से हार कर कभी पीछे मुड़ना स्वीकार नहीं किया, जिन्होंने अपने सपनों की उड़ान को किसी भी परिस्थिति में बाधित नहीं होने दिया, जिन्होंने परिस्थितियों से डरकर कभी हार नहीं मानी। अगर उन्होंने भी सामान्य व्यक्तियों के जैसे विषमताओं से डरकर अपने साहस को खो दिया होता तो शायद आज मानवता की गरिमा को बढ़ाने वाले इतने अविष्कार कभी नहीं होते।

 अगर युग और काल के हाथों से आहत होकर मानवता को चोट पहुंची तो उसे मरहम लगाने वाले भी कई व्यक्ति हुए जिन्होंने इतने दुष्कर कार्य केवल अपने साहस और आत्मबल के बूते पर किए। सच ही तो है - सीमाएं उन्हीं के लिए बनी है जो हारना जानते हैं, जो उड़ान भरने के पहले ही डर कर अपने आप को सीमाओं में बांध लेते हैं।


आचरण की महानता

 आपका आचरण ही आपका जीता जागता प्रतिरूप हैजब जब किसी महान व्यक्ति या महापुरुष की चर्चा होती है तो सबसे पहले दृष्टि में आता है - उनका आचरण, उनका चरित्र। यह चरित्र ही वास्तव में हर व्यक्ति की सबसे बड़ी पूंजी है जिसे आज के समय में दरकिनार कर दिया गया है। यह मान लिया गया है कि यदि धन, पद और प्रतिष्ठा है तो चरित्र का ज्यादा महत्व नहीं है किंतु वास्तव में अनंत काल के लिए वही याद किया जाता है जिसने अपनी वाणी से नहीं अपितु अपने कर्मों से उदाहरण पेश किया।

वाणी का जादू बहुत समय तक अपना काम नहीं करता क्योंकि उसकी पोल खुल ही जाती है। शीर्ष पर तो आपका कर्तृत्व एवं चरित्र ही होता है इसलिए अपने आचरण में सदाचार और गुणों की जितनी वृद्धि की जा सके उतना ही अच्छा है। वास्तव में आपके जाने के बाद भी अगर कुछ याद किया जाता है तो वह है आपके कर्म और आपका चरित्र।


 

बुधवार, 7 अक्टूबर 2020

परिश्रम का महत्व

 

 

आज का समय सुविधा और साधनों का हैआज से पहले तक मनुष्य के पास इतनी सुविधाएं कभी भी नहीं थी किंतु आज से पहले मानसिक तनाव भी इतना कभी नहीं थाआज मनुष्य सब कुछ पाना चाहता है किंतु भौतिकता के मकड़जाल में उलझकर सुविधा से युक्त तो हो जाता है किंतु मानसिक रूप से रिक्त हो जाता है, अंदर की भरपूरता कहीं समाप्त हो जाती है।

वास्तव में जीवन से संघर्ष की समाप्ति, अंदर जीवन जीने की इच्छा को समाप्त करता है क्योंकि बिना कुछ किए सब कुछ पा जाने से जैसे जीवन का रंग ही खत्म हो जाता है, उसकी महक तो वास्तव में कड़े परिश्रम से प्राप्त होने वाले फल में ही है। अतः जीवन में थोड़ा रंग संघर्ष और कठिनाइयों का भी भरना चाहिए तभी जीवन का कैनवास रंग बिरंगा होगा।

ख़ुशी की खुराक

आज का समय जैसे बड़ा ही निराशाजनक समय है जब लोग अपने घरों में बंद है एवं एक दूसरे से ना तो संपर्क कर पा रहे हैं और ना ही एक साधारण जीवन जी पा...